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Bageshwar News: उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में नहाने के बाद नाभी में सरसों का तेल लगाने की परंपरा आज भी कायम है. सर्दियों में यह घरेलू नुस्खा और भी ज्यादा लोकप्रिय हो जाता है.

बागेश्वर: कड़ाके की सर्दी में शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए नाभि में सरसों का तेल लगाना पहाड़ी इलाकों में पुराना घरेलू नुस्खा है. सरसों के तेल में मौजूद नैचुरल हीटिंग प्रॉपर्टी शरीर को हल्की गर्माहट प्रदान करती है, जिससे ठंड के कारण होने वाली अकड़न और कंपकंपी में आराम मिलता है. नहाने के तुरंत बाद नाभी में कुछ बूंदें तेल डालने से शरीर लंबे समय तक गर्म महसूस करता है. ग्रामीण परिवार आज भी इसे बच्चों और बुजुर्गो के लिए खासतौर पर जरूरी मानते हैं.

सर्दियों की शुष्क हवा पेट के आसपास की त्वचा को काफी रूखा बना देती है. नाभि में सरसों का तेल लगाने से न केवल नाभि क्षेत्र बल्कि आसपास का हिस्सा भी मॉइश्चराइज रहता है. इसका गाढ़ा टेक्सचर त्वचा पर सुरक्षा परत बनाकर नमी को लॉक करता है. पहाड़ों में रहने वाले लोग बताते हैं कि सरसों का तेल लगाने से त्वचा का फटना, लाल होना और खुजली की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है. बच्चों के पेट पर सूखापन दूर करने के लिए यह नुस्खा आज भी हर घर में अपनाया जाता है.

बागेश्वर के स्थानीय जानकार रमेश पर्वतीय ने Bharat.one को बताया कि नाभी के आसपास सरसों का तेल लगाने से पाचन तंत्र की छोटी-मोटी गड़बड़ियों में आराम मिलता है. यह पेट की हल्की गैस, अपच या पेट फूलने की समस्या को शांत करने में सहायक हो सकता है. इसकी गर्म तासीर पेट के आसपास रक्त संचार को बेहतर बनाती है, जिससे पाचन क्रिया सहज महसूस होती है. हालांकि यह कोई दवाई नहीं, पर घरेलू देखभाल में इसे हल्की राहत देने वाला उपाय माना जाता है.
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उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में लोग नाभी में सरसों का तेल लगाने को इम्युनिटी बढ़ाने वाले उपाय के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं. सर्दियों में शरीर जल्दी ठंड पकड़ लेता है, ऐसे में तेल की गर्माहट शरीर को मौसम के प्रभाव से बचाने में मदद करती है. इसका एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमणों से बचाव में योगदान दे सकता है. पहाड़ी परिवार इसे बच्चों और बुजुर्गों के लिए खासतौर पर फायदेमंद मानते हैं ताकि सर्दी-जुकाम की शिकायत कम हो.

आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. ऐजल पटेल ने बताया कि नाभि शरीर का सेंटर पॉइंट मानी जाती है. जहां कई नाड़ी तंतु जुड़े होते हैं. इसी कारण यहां लगाए गए तेल का असर शरीर के विभिन्न हिस्सों तक जाता है. नाभि में सरसों के तेल की मालिश रक्त संचार को संतुलित करने, पाचन को शांत रखने और त्वचा को पोषण देने में मदद करती मानी जाती है. यही वजह है कि पहाड़ों में यह प्रथा पीढ़ियों से बिना बदले आज भी उतनी ही लोकप्रिय है.

सरसों का तेल प्राकृतिक रूप से एंटीबैक्टीरियल होता है, जो सर्दियों में संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है. नाभि क्षेत्र अक्सर सूखापन और धूल की वजह से संवेदनशील हो जाता है. ऐसे में तेल लगाने से आसपास की त्वचा सुरक्षित और साफ रहती है. इससे नाभि में खुजली, लालपन या हल्के संक्रमण की समस्या कम होती है. छोटे बच्चों की देखभाल में यह नुस्खा खासतौर पर कारगर माना जाता है.

सर्दियों में नाभि का फटना या सूख जाना एक आम समस्या है, खासकर पहाड़ी मौसम में. सरसों का तेल इसकी गहरी नमी देने वाली क्षमता से नाभि को मुलायम रखता है. दिन में एक बार नहाने के बाद यह लगाने से सूजन, जलन या पपड़ी जमने जैसी समस्या कम हो जाती है. कई लोग इसे पेट के चारों ओर हल्की मालिश के साथ लगाते हैं, जिससे त्वचा की बनावट भी बेहतर होती है.

नाभि में सरसों का तेल लगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बेहद सरल और सस्ता उपाय है. किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं, सिर्फ कुछ बूंदें तेल काफी होते हैं. पहाड़ी घरों में सरसों का तेल रोजमर्रा की रसोई का हिस्सा होता ही है, इसलिए यह नुस्खा तुरंत अपनाया जा सकता है. बिना किसी खर्च के शरीर को सर्दियों में गर्म रखने, त्वचा को सुरक्षित रखने और हल्की पेट संबंधी दिक्कतों को कम करने में यह उपयोगी माना जाता है.
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https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/health-navel-oiling-benefits-nabhi-me-sarso-tel-lagane-ke-fayde-kya-hain-local18-9863774.html







