Mpox health emergency: विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO मंकीपॉक्स बीमारी को विश्व के लिए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. पिछले दो साल में डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को दूसरी बार पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का मतलब है कि यह बीमारी पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है और इस पर तत्काल रिसर्च, फंडिंग, आपसी सहयोग और बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है. दरअसल, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगों में एमपॉक्स का बेहद खतरनाक स्ट्रैन सामने आया है. पिछले सप्ताह ही डब्ल्यूएचओ ने इस बीमारी को लेकर आपात बैठक बुलाई थी. इसके बाद डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने कहा था कि इस बात का अंदेशा है कि कांगों में मंकीपॉक्स का जो नया स्ट्रैन मिला है, वह बेहद घातक है औऱ अगर यह अफ्रीका से बाहर गया तो पूरे विश्व में इसके फैलने की आशंका है.
तत्काल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत
मंकीपॉक्स वायरस का जो नया स्ट्रैन कांगों में मिला है वह इतना खतरनाक है कि 10 संक्रमित मरीजों में से एक की जान चली जाती है. कांगों में जो नया स्ट्रैन आया है उसका नाम क्लेड 1 clade 1b रखा गया है. यह वैरिएंट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नजदीकी संपर्क से आता है. यह सेक्सुअल संबंध से भी फैल सकता है. फिलहाल यह कांगों और कांगों की सीमा से सटे बुरुंडी, केन्या, रवांडा, यूगांडा में पसर चुका है और इस कारण डब्ल्यूएचओ की इस बात की अंदेशा है कि यह बीमारी और देशों में भी फैल सकती है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने बताया है कि अब यह बात साफा हो चुकी है कि यह बीमारी फैल चुकी है और इसे रोकने के लिए और लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है. किन लोगों को ज्यादा खतरा
एमपॉक्स का खतरा किन्हें है ज्यादा
मंकीपॉक्स के वायरस का खतरा पुरुष और पुरुष के बीच यौन संबंध बनाने वाले पुरुषों में ज्यादा होता है. इसके अलावा एक से ज्यादा लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वालों को भी इसका ज्यादा खतरा है. वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक ऐसे में यह बीमारी यौनकर्मियों में ज्यादा हो रही है. डब्ल्यूएचओ के डीजी डॉ. टेड्रोस ने बताया कि डब्ल्यूएचओ बीमारी से प्रभावित देशों की सरकारों के साथ काम कर रहा है और इससे रोकने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सामुदायिक स्तर पर समग्र रणनीति बनाने की जरूरत है. फिलहाल इस बीमारी के मद्देनजर कांगो में परिवहन सेवा को बंद नहीं किया गया है कि लेकिन इसे लेकर एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं.
2022 में पहला केस
मंकीपॉक्स का पहला मामला 2022 में ही लंदन में सामने आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका नाम एमपॉक्स (mpox) रखा. 2022 में मंकीपॉक्स के मामले को ग्लोबल एपीडमेकि या महामारी माना गया था. तब 100 से अधिक देशों में इसके मामले सामने आए थे और इसमें 100 लोगों की मौत भी हुई थी. इनमें अकेले अमेरिका के 58 लोग शामिल थे. इस समय भी मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया था. उस समय जो मंकपॉक्स के दो स्ट्रैन थे, वे इतने खतरनाक नहीं थे. लेकिन पिछले एक साल से कांगो में बेहद खतरनाक स्ट्रैन सामने आया है. इसे clade1a कहा गया है. इससे संक्रमितों में से 10 प्रतिशत की मौत हो जाती है. वहीं अब इससे भी खतरनाक स्ट्रैन clade1b आ गया है जो और ज्यादा खतरनाक है. clade1b के केस केन्या, रवांडा और यूगांडा में बी पाए गए. अब तक सभी तरह के मंकीपॉक्स के 14 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं.
मंकीपॉक्स के लक्षण
मायो क्लीनिक के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण के 3 से 17 दिनों के बाद अपना असर दिखाने लगता है. इसके बाद बुखार, स्किन में रैशेज, नसों का फूलना, सिर दर्द, बदन में ऐंठन, पीठ में दर्द, ठंडी और थकान जैसे लक्षण मरीज में दिखने लगते हैं. मंकीपॉक्स में स्किन पर रैशेज मुख्य रूप से मुंह, हाथ और पैरों में होते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 17:09 IST
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