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World Lung Day 2025: हर साल 25 सितंबर को विश्व फेफड़ा दिवस (World Lung Day 2025) मनाया जाता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे फेफड़े कितने अहम हैं और प्रदूषण, धूम्रपान और खराब हवा उनके लिए कितना खतरनाक है. तो चलिए जानते हैं कि इस दिन दिन का महत्व और हम अपने फेफड़ों को प्रदूषित हवा में किस तरह बचा सकते हैं.

How To Protect Lungs From Pollution: हर साल 25 सितंबर को पूरी दुनिया विश्व फेफड़ा दिवस (World Lung Day) मनाती है. ये दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे फेफड़े कितने अहम हैं और प्रदूषण, धूम्रपान और बदलते मौसम की मार से ये कितने जल्दी कमजोर हो सकते हैं. बता दें कि इस साल यानी साल 2025 का थीम “Healthy Lungs, Healthy Life” है जो इस समय भारत के लिए बहुत खास है, क्योंकि देश की हवा लगातार खराब होती जा रही है और लाखों लोग हर दिन जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं. हाल ही में Lancet Planetary Health की एक स्टडी (2024) ने पुष्टि की है कि PM2.5 यानी सूक्ष्म धूलकण सीधे मानव शरीर के फेफड़ों और ब्लडस्ट्रीम में घुसकर लंबे समय तक नुकसान कर सकते हैं. इसका असर सिर्फ़ स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि उम्र पर भी पड़ता है.
डॉक्टर का क्या है कहना?
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. पी.पी. बोस, जो सांस फाउंडेशन(Saans Foundation) भी चलाते हैं, उनका कहना है, “दिल्ली में रहना ऐसा है जैसे गैस चेंबर में रहना. रिपोर्ट्स कहती हैं कि इस जहरीली हवा में रहने से आपकी उम्र 8 साल तक घट सकती है. ये हवा लगातार फेफड़ों पर हमला करती है – खांसी, अस्थमा और कई बार अनहोनी नुकसान भी कर सकती है.”
डॉ. बोस के अनुसार, फेफड़ों की सुरक्षा के लिए 3 काम सबसे जरूरी हैं:-
- अगर बाहर जाना है तो N-95 मास्क पहनें.
- घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें.
- एयर क्वालिटी इंडेक्स चेक करते रहें और अगर हवा बहुत खराब हो तो बाहर न जाएं.
उनका साफ कहना है, “फेफड़े अनमोल हैं. इन्हें बचाने के लिए छोटे-छोटे कदम ही काफी हैं.” असल में समस्या यह है कि लोग फेफड़ों की सेहत की चिंता सिर्फ तभी करते हैं जब AQI ‘खतरनाक’ दिखाता है या स्मॉग की खबरें छपती हैं. लेकिन फेफड़ों की देखभाल कोई मौसमी काम नहीं है. ये रोज़मर्रा की आदत बनानी चाहिए, उसी तरह जैसे कि दांत साफ करना या हाथ धोना.
जागरुकता बढ़ाना जरूरी
PulmoRehab Care के फाउंडर-डायरेक्टर डॉ. सिद्धांत दत्ता का मानना है कि सांस संबंधी सेहत और लाइफस्टाइल के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी देना ही इस गैप को कम करने का सबसे असरदार तरीका है. अगर कोई क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिजीज से जूझ रहा है तो वह अपने लाइफस्टाइल में सही एक्सरसाइज, शिक्षा और बिहेव में बदलाव लाकर अपनी सेहत को बेहतर कर सकता है.
डॉ. दत्ता के मुताबिक, अगर हम सांस लेने की एक्सरसाइज करें, धूम्रपान छोड़ दें और घर में सही वेंटिलेशन का ध्यान रखें तो फेफड़ों को प्रदूषण से बचाने में काफी सफल हो सकते हैं.
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