Singer Zubeen Garg Death Reason: बेहद वर्सटाइल सिंगर और या आली रहम आली फेम सिंगर जुबिन गर्ग का निधन हो गया. वे सिंगापुर में स्कूवा डाइविंग कर रहे थे लेकिन स्कूबा डाइविंग की यह छलांग उनकी आखिरी छलांग बन गई. इस छलांग के कारण ही उनकी मौत हो गई. वे अब कभी वापस नहीं आ पाएंगे. स्कूबा डाइविंग में हादसे नई बात नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रति 1 लाख स्कूबा डाइविंग में 16 से 17 लोगों की मौत हो जाती है. स्कूवा डाइविंग के समय लोगों की मौत क्यों हो जाती है. इससे पहले यह जानते हैं कि स्कूबा डाइविंग होती क्या है. स्कूबा डाइविंग के समय जुबिन गर्ग की मौत की असली वजह क्या है, इसके बारे में अभी अंदाजा नहीं है लेकिन कई परिस्थितियों में स्कूबा डाइविंग के समय डाइवर की मौत हो सकती है.
स्कूबा डाइविंग क्या है
स्कूबा डाइविंग में लोग पानी के अंदर डूबकर पानी की चीजों को देखते हैं. इसके लिए वे शरीर में कई यंत्र लगाकर जाते हैं. वे ऑक्सीजन लेकर जाते हैं. एक तरह से यह जल क्रीड़ा है. जो ऑक्सीजन वे ले जाते हैं उस उपकरण को स्कूबा कहा जाता है. SCUBA का मतलब होता है Self Contained Underwater Breathing Apparatus. यह उपकरण एक टैंक में संचित हवा को नियमित रूप से सांस के लिए उपलब्ध कराता है, जिससे गोताखोर सतह से पूरी तरह स्वतंत्र होकर पानी के अंदर सांस ले पाता है.
कैसे पानी के अंदर जाता है
पानी के अंदर जाने के लिए गोताखोर स्पेशल सूट पहनता है. इसमें डाइविंग मास्क, फिन्स (पैर के लिए पंख) और वाटरप्रूफ सूट होते हैं. वे अपने पीठ पर एयर टैंक बांधते हैं जो उनके मुंह तक एक पाइप से जुड़ा होता है ताकि वे आसानी से सांस ले सकें. गोताखोर गोता लगाने से पहले यह तय करते हैं कि उसे कहां जाना है, उस हिसाब से वे ऑक्सीजन टैंक में भरते हैं और अन्य सामान लेते है.
पानी के अंदर गोताखोर के शरीर में क्या होती है हलचलें
जब कोई स्कूबा डाइवर पानी के अंदर होता है तो गहराई में बढ़ते दबाव के कारण शरीर में गैस विशेषकर नाइट्रोजन के घुलने की मात्रा बढ़ जाती है. यदि गोताखोर बहुत जल्दी ऊपर आते हैं, तो यह गैस बुलबुले बनाकर रक्त नलिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकती है. इसे डिकंप्रेशन बीमारी कहते हैं. इस दौरान SCUBA कॉम्प्रेस्ड हवा देता है, जिससे फेफड़ों में उचित ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है लेकिन यदि गैस का मिश्रण सही नहीं हो या ऑक्सीजन का स्तर बहुत ज्यादा हो जाए तो यही ऑक्सीजन टॉक्सिक बन जाती है. वहीं जब स्कूबा डाइवर पानी के अंदर होता है तो शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है. अगर पानी अधिक ठंड है तो इससे हाइपोथर्मिया हो सकता है. इसलिए स्कूबा डाइविंग में गहरी गोता लगाने के लिए खास प्रशिक्षण और सुरक्षा उपायों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि ये प्राकृतिक और बायोलॉजिकल जोखिम नियंत्रण में रह सकें.
स्कूबा डाइविंग में मौत के कई कारण
1. डिकंप्रेशन बीमारी-आमतौर पर डिकंप्रेशन बीमारी के कारण किसी स्कूबा डाइवर की मौत होती है. जब डाइविंग के बाद डाइवर्स जल्दी सतह पर आते हैं, तो उनके शरीर में गैस के बुलबुले बन जाते हैं. ये बुलबुले ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट पैदा कर सकते हैं, जो नर्वस सिस्टम और अन्य टिशूज को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इस कारण मौत हो जाती है. माना जा रहा है कि जुबिन गर्ग की मौत शायद इसी तरह की दुर्घटना से हुई है.
2. एयर एंबोलिज्म – जब सांस लेने वाली नली या उपकरण से हवा सीधे खून में चली जाए तो यह खून की नलियों में अटक जाता है जिसके कारण ब्लड वैसल्स जाम हो जाता है और फिर इससे हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट या स्ट्रोक हो सकता है. यह जानलेवा साबित हो सकता है.
3. डूबना – अगर डाइविंग के दौरान सांस रुक जाए या उपकरण का फेल हो जाए तो इससे भी मौत हो सकती है. इसमें भयंकर डर और घबराहट होती है जिसकी वजह से पानी में सांस लेने में दिक्कत होती और डूबने से मौत हो जाती है.
4. कार्डियक अरेस्ट – पानी के अंदर भारी शारीरिक दबाव, तनाव या पहले से हार्ट में कोई परेशानी अचानक हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकता है. इसलिए स्कूबा डाइविंग से पहले हार्ट की सही से जांच कराई जाती है.
5. श्वास संबंधी समस्याएं –पानी के अंदर स्कूबा डाइविंग के समय डर या अन्य कारणों से दम घुट सकता है जिससे पानी फेफड़ों में भर जाता है और इस कारण ऑक्सीजन का लेवल बहुत आगे-पीछे हो जाता है और मौत हो जाती है.
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