Mumbai Airport: मुंबई एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर में मौजूद सभी एयरपोर्ट कर्मियों की सांसे उस वक्त हलक में अटक गई जब 240 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहे दो प्लेन एक साथ एक ही रनवे पर आ गए. महज चंद सेकेंडे के अंतराल से एयर इंडिया का प्लेन टेकऑफ हो गया और मुंबई एयरपोर्ट पर एक बड़ा हासदा टल गया. यदि एयर इंडिया के प्लेन का टेकऑफ सिर्फ 10 सेकेंड के लिए डिले हो गया होता, तो मुंबई एयरपोर्ट के रनवे पर स्थिति बेहद भयावह हो चुकी होती.
ऐसे स्थिति में, जहन में पहला सवाल यही आता है कि कार या दूसरे वाहनों की तरफ क्या प्लेन में भी कोई इमरजेंसी ब्रेक जैसा कोई सिस्टम होता है? क्या इस इमरजेंसी ब्रेक सिस्टम के जरिए रनवे पर लैंड होने वाले इंडिगो एयरलाइंस के प्लेन को रोका जा सकता था? तो चलिए आपको बताते है कि किसी भी प्लेन में कैसा होता है उसका ब्रेकिंग सिस्टम और 240 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से रनवे पर लैंड करने वाले प्लेन की स्पीड को महज चंद सेकेंड के भीतर किस तरह कंट्रोल किया जाता है.
आखिर क्या हुआ था मुंबई एयरपोर्ट के रनवे पर?
हम प्लेन के ब्रेकिंग सिस्टम की बात करें, उससे पहले उस परिस्थिति की बात कर लेते हैं, जो मुंबई एयरपोर्ट के रनवे 27 पर एयर इंडिया और इंडिगो के विमान की एक साथ मौजूदगी के बाद उत्पन्न हुए थे. दरअसल, शनिवार सुबह मुंबई से त्रिवेंद्रम के लिए शेड्यूल्ड फ्लाइट AI-657 रनवे पर टेकऑफ के लिए रोल करना शुरू करता है. यह प्लेन अपनी पूरी गति पर था, तभी इंदौर से उड़ान भरकर मुंबई एयरपोर्ट पहुंची इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट 6E-5053 रनवे पर अचानक लैंड कर जाती है.
कुछ सेकेंड के लिए रनवे पर दोनों विमानों की दूरी बेहद कम रह जाती है. कोई अनहोनी होती, इससे पहले एयर इंडिया का प्लेन टेकऑफ हो जाता है और एक बड़ा हादसा टल जाता है. यदि खासतौर पर मुंबई एयरपोर्ट की बात करें तो एक ही रनवे की उपलब्धता के चलते रनवे पर चंद सेकेंड के अंतराल में प्लेन का टेकऑफ और लैंडिंग सामान्य सी बात है. लेकिन, इस बीच कोई अनहोनी न हो, इसके लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल की जिम्मेदारी है कि दोनों प्लेन के बीच समचुति दूरी बनाए रखे.
प्लेन को रोकने के लिए कैसे काम करते हैं ब्रेक?
अब प्लेन के ब्रेकिंग सिस्टम से पहले प्लेन की लैंडिंग स्पीड की भी बात कर लेते हैं. एक सीनियर पायलट के अनुसार, प्लेन की लैंडिंग स्पीड एयरक्राफ्ट के मेक पर निर्भर करता है. सामान्यतय: लैंडिंग से करीब पांच मिनट पहले तक किसी भी प्लेन की स्पीड करीब 380 किमी प्रति घंटा तक होती है. वहीं, रनवे पर लैंडिंग के दौरान प्लेन की एवरेज स्पीड करीब 240 किमी प्रति घंटा से 270 किमी प्रति घंटा के बीच होती है. इस स्पीड में कोई भी प्लेन आसानी से रनवे पर सुरक्षित लैंडिंग कर सकता है.
चलिए अब बात करते हैं प्लेन के ब्रेकिंग सिस्टम की. 240 किमी प्रति घंटा से 270 किमी प्रति घंटा तक की स्पीड से रनवे पर लैंड होने वाले विमान को रोकने के लिए दो तरह के ब्रेकिंग सिस्टम काम करते हैं. पहले ब्रेकिंग सिस्टम का नाम है थ्रस्ट रिवर्सल. थ्रस्ट रिवर्सल अप्लाई करते ही प्लेन के विंग्स में लगे फ्लैप खुल जाते हैं और इस ब्रेकिंग सिस्टम के जरिए विमान की स्पीड को कंट्रोल किया जाता है. विमान की स्पीड कंट्रोल होने के बाद पायलट पैडल ब्रेक के जरिए प्लेन को रोकता है.
क्या विमान में होता है इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम?
एक सीनियर पायलट के अनुसार, रनवे पर लैंडिंग के बाद सामान्यतय: थ्रस्ट रिवर्सल ही अप्लाई किया जाता है, जिससे विमान की गति को नियंत्रित करके टैक्सी वे की तरफ मोड़ा जा सके. टैक्सी वे से पार्किंग वे या एयरोब्रिज तक पहुंचते पहुंचते प्लेन की गति बेहद सीमित हो जाती है, जिससे पैडल ब्रेक के जरिए प्लेन निर्धारित स्थान पर रोक लिया जाता है. वहीं, पैडल ब्रेक के काम नहीं करने की स्थिति में पायलट इमजेंसी ब्रेक का भी इस्तेमाल करते हैं.
इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्टम का बटन दबाते ही विमान के एयर टैंक, सोलनॉइड वाल्ब, फ्लो कंट्रोल वाल्व और पेनुमेटिक सिलेंडर एक्टिव हो जाते हैं. सॉलनॉइड वाल्व खुलते ही फ्लो कंट्रोल वॉल्ब के जरिए एयर कंप्रेस्ड की जाती है. एयर कंप्रेशन की वजह से पेनुमेटिक सिलेंडर पर दबाव प्लेन के टायर्स पर पड़ता है और इस तरह प्लेन को इमरजेंसी ब्रेक के जरिए रोक लिया जाता है. लेकिन, लैंडिंग के ठीक बाद 240 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पर इमरजेंसी ब्रेक लगाना कई बार खतरनाक भी साबित हो सकता है.
FIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 10:39 IST
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