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प्लेन का टुकड़ा था छोटा, मगर नुकसान करता बड़ा, अगर इमरजेंसी लैंडिंग नहीं होती तो क्या हो जाता, जानें सब


Plane Part found in Vasant Kunj: वंसतकुंज के शंकर विहार में इलाके में मिला एयरक्राफ्ट का टुकड़ा देखने में तो छोटा था, लेकिन समय पर उसके बारे में पता न चलता तो नुकसान बड़ा हो सकता था. हालांकि, एयरक्राफ्ट के इस टुकड़े को लेकर ना ही डायरेक्‍टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन और ना ही एयर इंडिया एक्‍सप्रेस की तरह से स्थिति साफ की गई है. लेकिन, टुकड़े की तस्‍वीर सामने आने के बाद इस मामले की गंभीरता का आंकलन जरूर शुरू हो चुका है. आंकलन इस बात का भी किया जा रहा है कि यदि समय पर इस बाबत पता नहीं चलता, तो किस हद तक खामियाजा भुगतना पड़ सकता था.

एविएशन इंजीनियरिंग जुड़े वरिष्‍ठ अधिकारी ने बनाया कि वसंतकुंज इलाके मिला एयरक्राफ्ट का यह टुकड़ा ऑयल फिलिंग डोर, टॉयलेट रिफ्यूलिंग डोर, एयर टर्बाइन फ्यूल रिफ्यूलिंग डोर, नोज ह्लील डोर या इलेक्ट्रिक पैनल का हिस्‍सा हो सकता है. प्‍लेन के टेकऑफ से पहले एयरलाइंस इंजीनियरिंग टीम सभी गेट्स को चेक करती है. यदि चूकवश यह गेट खुले रह गए होंगे तो हवा के दवाब की वजह से इनके टूटने की पूरी संभावना होती है. इसके अलावा, यह टुकड़ा एयरक्राफ्ट के विंग में लगे स्पॉइलर का हिस्‍सा भी हो सकता है. इस सभी संभावनाओं में सबसे अधिक संभावना एयरक्राफ्ट स्‍पॉइलर को लेकर जताई जा रही है.

क्‍या होता, अगर ना होती समय पर इमरजेंसी लैंडिंग
निजी एयरलाइंस से जुड़े सीनियर कैप्‍टन के अनुसार, पूरी संभावना है कि तस्‍वीर में दिख रहा पार्ट एयरक्राफ्ट विंग में लगे स्‍पॉइलर का हिस्‍सा हो. यदि यह स्‍पॉइलर का हिस्‍सा है तो निश्चित तौर पर यह एयरक्राफ्ट के लिए सेफ्टी रिस्‍क था. इसके न रहने से एयरक्राफ्ट की लैंडिंग परफामेंस पर भी फर्क पड़ता है. दरअसल, एयरक्राफ्ट को रोकने के लिए तीन सिस्‍टम एक साथ काम करते हैं. पहला है – ब्रेकिंग सिस्‍टम, दूसरा- इंजन रिवसर्स सिस्‍टम और तीसरा है स्‍पॉइलर्स. स्‍पॉइलर्स का काम ह्वील और रनवे के बीच के ट्रैक्‍शन को कम करना है. स्‍पॉइलर्स एयरक्राफ्ट के ब्रेकिंग सिस्‍टम को इफेक्टिव बनाती हैं.

क्‍या इस्‍पॉलर के बिना प्‍लेन में नहीं लगते ब्रेक?
सीनियर कैप्‍टन बताते हैं कि इस्‍पॉलर के डैमेज होने का असर लैंडिंग के बाद एयरक्राफ्ट की स्‍पीड को कम करने, ब्रेकिंग सिस्‍टम के साथ लैंडिंग डिस्‍टेंस पर भी असर पड़ता है. इस्‍पॉलर टूटने की बाद पायलट को एयरक्राफ्ट रोकने के लिए अधिक दूरी चाहिए होगी. यदि पायलट इस बात से अनभिज्ञ है कि उसके विंग का स्‍पॉइलर टूट गया है तो वह लैंडिंग डिस्‍टेंस कैलकुले करने में चूक कर सकता है. इस चूक को दिल्‍ली और मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट पर संभाला जा सकता है, लेकिन रनवे टेबलटॉप रनवे हुए तो नतीजे गंभीर हो सकते हैं.

क्‍या है पूरा मामला
दिल्‍ली पुलिस कंट्रोल रूम को 2 सितंबर की रात करीब साढ़े नौ बजे एक महिला ने कॉल कर जानकारी दी थी कि उनकी छत के ऊपर से गुजर रहे एक एयरक्राफ्ट का टुकड़ा टूट कर उनकी छत पर गिरा है. मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्‍काल इसकी जानकारी दिल्‍ली एयरपोर्ट प्रबंधन और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को दी गई. एटीसी ने प्रोटोकॉल प्रोसीजर फॉलो करते हुए एयर इंडिया एक्‍सप्रेस की बहरीन के लिए रवाना हुई फ्लाइट IX-145 को वापस बुला लिया, जिसकी इमरजेंसी लैंडिंग आईजीआई एयरपोर्ट पर कराई गई. हालांकि, इस बाबत एयर इंडिया एक्‍सप्रेस का कहना है कि वह अभी इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं कि इस टुकड़ा उनके विमान का है या नहीं.


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https://hindi.news18.com/news/nation/small-piece-of-aircraft-caused-big-damage-what-happened-if-no-emergency-landing-of-air-india-express-at-delhi-airport-8658677.html

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