बांका. बांका जिले के सुप्रसिद्ध जेष्ठ गौरनाथ मंदिर और उसके आसपास के इलाके का विकास किया जा रहा है. मंदिर समिति और 56 मौजा यहां श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ये निर्माण कार्य करवा रहे हैं. वैसे तो सालभर यहां श्रद्धालु आते हैं लेकिन सावन में भीड़ ज्यादा रहती है. कहते हैं यहां का शिवलिंग पृथ्वी का पहला शिवलिंग है.
बांका जिला के अमरपुर प्रखंड मुख्यालय से महज 13 किलोमीटर की दूर पहाड़ों की मनोरमवादियों में स्थित बाबा जेष्ठ गौरनाथ महादेव मंदिर शिव और शक्ति का अनूठा संगम है. आदिकाल से ही आसपास के ग्रामीण सहित दूर दराज से लोग यहां माथा टेकने आते हैं. मंदिर परिसर के पूर्व दिशा में स्थित चानन नदी में एक करोड़ की लागत से शिवगंगा का निर्माण कार्य शुरू किया गया है. यहां पर्यटकों के लिए शिवगंगा में सीढ़ियां, चबूतरा, बैठकीय स्थल, कुर्सी, लाइट्स, चेंजिंग रूम, चारों ओर बागवानी और गार्डन बनाए जा रहे हैं.
मनोरम दृश्य
मंदिर समिति अध्यक्ष दुर्गा सिंह बताते हैं यह मंदिर पहाड़ों की मनोरम वादियों में है. इसलिए इसे धार्मिक पर्यटन स्थल माना जाता है. इसी स्थल को और सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए मंदिर समिति और 56 मौजा ये काम करवा रहे हैं.
चरवाहे ने देखा था शिवलिंग
मान्यताओं के अनुसार पृथ्वी पर यह पहली शिवलिंग है. इसलिए इसे जेष्ठ गैरनाथ शिवलिंग के नाम से जाना जाता है. गौर वंश के शासनकाल में गाय चराने गए चरवाहे ने सबसे इस शिवलिंग को देखा था. उसके बाद गौर वंश के राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था तब से इसे जेष्ठ गौरनाथ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.
श्रावणी मेले में भीड़
यहां हर सोमवार के साथ श्रावणी मेले में लाखों श्रद्धालु सुल्तानगंज से जल भरकर जेष्ठ गौरनाथ महादेव पर चढ़ाते हैं. पूजा अर्चना खत्म होने के बाद श्रद्धालु ,कर्ण चिता भूमि एवं मां दक्षिणेश्वरी काली की भी पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना करते हैं. प्रत्येक वर्ष सावन माह में लाखों की संख्या में उत्तर वाहिनी से जल भरकर पैदल डाक बम और श्रद्धालु यहां आते हैं और पूजा अर्चना करते हैं.
FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 17:44 IST
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https://hindi.news18.com/news/bihar/banka-bihar-visit-the-first-shivling-of-the-earth-a-wonderful-confluence-of-shiva-and-shakti-new-facilities-will-be-available-soon-8440588.html