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आगरा घूमने का है प्लान तो ताजमहल के साथ देखें ये ऐतिहासिक जगह, फुल पैसा वसूल होगी ट्रिप


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Historical places of agra आगरा में सेंकड़ो मुग़लकालीन ईमारतें है. अपनी एतेहासिक धरोहर से आगरा अलग पहचान रखता है. आप भी आगरा घूमने का प्लान कर रहे है, तो ताजमहल के साथ आप सिकंदरा चौराहे पर स्थित सिकंदरा मकबरा देखने जरूर जाएं. इस स्मारक में सम्राट अकबर की कब्र है.

आ रहे है आगरा तो जरूर देखें अकबर का मकबरा

यह स्मारक आगरा-मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर है. जिसे अकबर का मकबरा भी कहते है. यह स्मारक लोदी स्थापत्य कला पर आधारित पांच मंजिल का है. मकबरे के सबसे नीचे अकबर की कब्र है. सिकंदरा मकबरे की पांचवीं मंजिल सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी हुई है. इसके चारों तरफ नौ – नौ मेहराबों के दालान बने हुए है. स्मारक के चारों तरफ हरे भरे बगीचे हैं. बताया जाता है कि पहले यमुना नदी सिकंदरा मकबरे से सटकर बहती थी, जो बाद में धीरे-धीरे यहां से करीब एक किलोमीटर दूर चली गई है. सिकंदरा की निर्माण शैली दूर से ही आकर्षित करती है, जिससे यहां आने वाला पर्यटक बेहद पसंद करता है. मुगल बादशाह सम्राट अकबर ने अपने जीवत रहते ही इस मकबरे का निर्माण शुरू करा दिया था. सन 1605 में शहंशाह अकबर की मौत के बाद उसके बेटे जहांगीर ने अकबर के मकबरे का कार्य पूरा कराया था. इतिहास के अनुसार सन 1613 में यह मकबरा बनकर तैयार हुआ था. सिकंदरा मकबरे को जाट राजा राम ने औरंगजेब के समय हमला कर उसमें लूटपाट कर ली थी. इतिहासकारों के अनुसार जाट राजा राम ने अकबर की कब्र खोदकर उसकी अस्थियां जला दी थी. कुछ समय बाद फिर वहाँ अकबर की कब्र की बनाया गया था. सन 1764 में आगरा में जाटों के शासन काल में इस मकबरे को काफी क्षति पहुंची थी.

आगरा किला की रोचक है कहानी

आगरा किला ताजमहल के नज़दीक है. यह किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है. बता दें कि आगरा किला करीब 93 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. किले का 72 एकड़ क्षेत्र सेना के कब्जे में है, जहाँ भारतीय सेना आज भी रहती है. किले का महज 21 एकड़ क्षेत्र ही ऐसा है, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पास है. किला देखने आने वाले पर्यटक 10 एकड़ क्षेत्र में ही घूम सकते है. आगरा किले में दीवान-ए-आम (जनदर्शन कक्ष), दीवान-ए-खास (शाही हमाम), खास महल, नगीना मस्जिद और मीना मस्जिद जैसी कई महत्वपूर्ण संरचनाएं बनी हुई है. यह किला ताजमहल से सिर्फ 2.5 किलोमीटर दूर है और यमुना के दाहिने तट पर स्थित है. आगरा किले में कई ऐसे शानदार पॉइंट है जिन्हे लोग अपने मोबाइल फोन में कैद करते है. किले में सेल्फी लेने वालों की भरमार रहती है. अगर आप आगरा आने का प्लान कर रहे है तो आगरा किला देखने जरूर जाएं.

सम्राट अकबर की पत्नी की कब्र मरियम टोम्ब में है

आगरा में मुग़ल बादशाह सम्राट अकबर की पत्नी का मकबरा भी बना हुआ है. इस मकबरे को बेहद कम ही लोग जानते है. यह मकबरा मरियम का मकबरा के नाम से मशहूर है. विदेश या अन्य शहरों से आने वाले लोग इसकी जानकारी कम होने के कारण इसे बिना देखे चले जाते है. अकबर की पत्नी और जहांगीर की माँ का यह मकबरा बेहद ही रहस्य से छुपा हुआ है. इसके चारों तरफ हरे भरे पेड़ पौधे ताज़ा वातावरण को बनाये हुए है. मकबरे में आने के बाद आपको शांति का माहौल मिलता है. आगरा मकबरा सिकंदरा चौराहे से मथुरा की ओर कुछ ही दुरी पर बना हुआ है. इसकी खबसूरती और नक्कशी एक बार आने वाले पर्यटकों को दोबारा अपनी ओर आकर्षित करती है. यह मकबरा पहले सिकंदर लोदी ने सन 1495 में एक बारादरी (मंडप) के रूप में बनवाया था. सन 1623-1627 के बीच जहाँगीर ने अपनी मां की याद में इसे एक मकबरे में तब्दील करवा दिया. 

जसवंत सिंह की छतरी के पीछे छुपा है गहरा रहस्य

आगरा में मुग़लकालीन सेंकड़ो ईमारत मौजूद है. लेकिन आगरा के ही कम लोग इसके बारे में जानते है. यह ईमारत बल्केश्वर स्थित यमुना किनारे बनी हुई है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मुग़लकालीन समय की पहली हिन्दू राजपुताना स्मारक है. इतिहासकरों के अनुसार सन 1644 में छुट्टी से लौटने पर आगरा किला स्थित दीवान-ए-आम में उनका सामना मीर बख्शी सलाबत खां से हुआ था. मीर बक्शी ने उनपर भारी जुर्माना लगाने और अपमानजनक टिप्पणी कर दी जिससे अमर सिंह आक्रोशित हो उठे और दरबार में ही मीर बख्शी की हत्या कर दी. मीर बक्शी की हत्या के बाद मुगल सैनिकों ने उन्हें घेरकर मौत के घाट उतार दिया. अमर सिंह राठौर की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी रानी हाड़ा ने अपने पति के साथ सती होने का निर्णय लिया. बलकेश्वर स्थित स्थान पर ही वे अग्नि में समा गईं. यह घटना आगरा के इतिहास में अमिट छाप छोड़ गई और यहीं से स्मारक निर्माण की नींव रखी गई. अमर सिंह राठौर के छोटे भाई राजा जसवंत सिंह ने अपने भाई और भाभी की याद में भव्य छतरी का निर्माण कराया. सन 1644 में शुरू हुआ यह निर्माण कार्य वर्ष 1655 में पूरा हुआ. 

फतेहपुर सिकरी का बुलंद दरवाजा देख हर कोई रह जाता है दंग

आगरा से करीब 35 किलोमीटर दूर फतेहपुर सिकरी स्मारक अपने आप में विशेष है. यहां बना बुलंद दरवाजा हर किसी को हैरानी में डाल देता है. कि आखिर कैसे इतने सालों पहले इस दरवाजे का निर्माण किया गया होगा. अगर आप भी आगरा आ रहे है तो फतेहपुर सिकरी जरूर जाएं. बता दें कि फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल बादशाह सम्राट अकबर ने सन 1571 में किया था. उस समय पानी की कमी के कारण सन 1585 में इसे छोड़कर लाहौर राजधानी बना ली गई थी. जिसके बाद यह एक वीरान जगह बन गई थी. इस ऐतिहासिक जगह का नाम सीकरी गाँव के नाम पर पड़ा गया था. इस गांव में अकबर ने अपने बेटे जहाँगीर के जन्म की खुशी में एक धार्मिक परिसर का निर्माण शुरू किया और फिर एक शाही क्षेत्र में इसे बसा दिया. सन 1573 में गुजरात विजय के बाद इसका नाम फतेहपुर सीकरी (विजय का शहर) रखा गया और अब यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में तब्दील हो चुका है. इस स्मारक में विश्व का सबसे बड़ा दरवाजा है जिसे बुलंद दरवाजा कहा जाता है. इस स्मारक में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह मौजूद है. जोकि एक महान सूफ़ी संत के रूप में जाने जाते थे. यह स्मारक लाल बलुआ पत्थर से बनी हई है. 

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आगरा घूमने का है प्लान.. तो ताजमहल के साथ देखें ये ऐतिहासिक जगह


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