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कार से 32 हजार किमी की यात्रा ,-63 डिग्री तापमान में हिमयुग के जीवाश्म देखने का रोमांच

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कोटा. कोटा के दो युवा मनु पालीवाल और कुलबीर सिंह अहलुवालिया इन दिनों वसुधैव कुटुंबकम का संदेश लेकर एक रोमांचक यात्रा पर हैं. वो इन दिनों रूस के अलग अलग शहरों का दौरा कर रहे हैं. ये यात्रा कठिन भी और अलग अलग अनुभव दे रही है. यहां पढ़ते हैं मनु और कुलबीर के रोमांचक किस्से.

मनु पालीवाल और कुलबीर सिंह अहलुवालिया ट्रांस साईबेरिया रोड ट्रिप पूरी करके अगस्त के पहले सप्ताह में कोटा लौटेंगे. वे रोटरी क्लब कोटा से ट्रांस साईबेरिया रोड ट्रिप के लिए वसुधैव कुटुंबकम का संदेश लेकर रवाना हुए थे. दोनों रोवर्स भारत से रवाना होकर नेपाल, चीन, मंगोलिया, रूस तक कुल 32 हजार 300 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके हैं. उन्होंने सड़क मार्ग से यात्रा के अनुभव साझा किए.

रूसी लोग ईमानदार और मददगार
मनु और कुलबीर ने बताया रूस के लोग बहुत मददगार और ईमानदार हैं. वहां कोई भिखारी नहीं, कोई चोरी नहीं, महिलाएँ सुरक्षित हैं. सभी आयु वर्ग के लोग रोजी कमाते हैं. सभी शहर साफ-सुथरे हैं. हरियाली और लकड़ी बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है. वहां भारतीयों का बहुत सम्मान करते हैं. वे हमारे गाने सुनते हैं और हमारे डबिंग किए धारावाहिक देखते हैं. हर बड़े शहर में भारतीय रेस्तरां हैं. दुनिया के सबसे ठंडे शहर रूस के साइबेरिया में याकुत्स्क में न्यूनतम तापमान (-) 42 डि॰ से (-) 63 डि॰ से॰ रहता है. वहां चार घंटे से भी कम समय धूप निकलती है.

हिमयुग के जीवाश्म पर दुर्गम सफर
याकुत्स्क पूर्वी साइबेरिया में लीना नदी पर स्थित एक रूसी बंदरगाह शहर है. यहां मैमथ संग्रहालय का घर है. उसमें ऊनी मैमथ के सहस्राब्दियों पुराने जीवाश्म हैं. मेलनिकोव पर्माफ्रॉस्ट इंस्टीट्यूट अंडरग्राउंड प्रयोगशाला में एक सुरंग है. इसमें शून्य से भी कम तापमान पर जीवाश्म तो है हीं, एक मैमथ बछड़ा भी शामिल है. उत्तरी लोगों के इतिहास और संस्कृति के याकूत राज्य संग्रहालय में मैमथ और गैंडों सहित हिमयुग के जीवाश्म हैं. दावा है स्वयं की कार से सेल्फ ड्राइव रूट पर इस तरह की दुर्गम यात्रा करने वाले भारत के पहले व्यक्ति हैं.

ट्रांस-साइबेरियन टर्मिनस पर आखिरी शहर
मनु और कुलबीर व्लादिवोस्तोक भी गए. ये रूस का एक प्रमुख प्रशांत बंदरगाह शहर है. ये गोल्डन हॉर्रबर के नजदीक है. चीन और उत्तर कोरिया की सीमाओं के पास है. इसे ट्रांस-साइबेरियन रेलवे के टर्मिनस के रूप में जाना जाता है. ये इस शहर को 7 दिन की यात्रा के बाद मास्को से जोड़ता है. शहर के केंद्र में सेंट्रल स्क्वायर है. यहां 20वीं सदी की शुरुआत में जापानी सेना से लड़ाई में शहीद हुए स्थानीय सैनिकों की याद में एक विशाल स्मारक है.


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https://hindi.news18.com/news/rajasthan/kota-a-journey-of-32-thousand-km-by-car-the-thrill-of-seeing-the-fossils-of-the-ice-age-in-63-degree-temperature-8532645.html

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