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Burhanpur News: बारादरी का निर्माण 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां के लिए एक हिरण पार्क आहूखाने के हिस्से के रूप में किया गया था. जहां पर शाहजहां घूमने के लिए आते थे.
यहां पर उनके द्वारा बनाए गए कई महल आज भी मौजूद हैं. जिसको देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक भी आते हैं और इन महलों की अपनी-अपनी कहानी है. कई जगह पर शाहजहां और मुमताज स्वयं रहते थे और कई जगह पर वह गार्डन के रूप में घूमने के लिए आते थे.
इतिहासकार डॉक्टर वैद्य सुभाष ने बताया कि ताप्ती नदी के तट पर शाहजहां के लिए एक महल बनाया गया था. जिसका नाम बारादरी है. इसकी खासियत है कि यह एक स्तंभ वाला मंडप है. जो मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. बारादरी का निर्माण 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां के लिए एक हिरण पार्क आहूखाने के हिस्से के रूप में किया गया था. जहां पर शाहजहां घूमने के लिए आते थे. मुमताज ने अंतिम सांस बुरहानपुर में ली थी, और छह माह तक बुरहानपुर में दफनाया गया था. इसके बाद आगरा ले जाकर ताजमहल में दफनाया गया.
बगैर छत का है महल
बुरहानपुर शहर को कभी मुगल साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता था. कई ऐतिहासिक स्थल आज भी यहां पर मौजूद हैं. बारादरी छतविहीन महल है. यहां पर कोई छत नहीं है. लेकिन इसकी बनावट और इसकी जो नक्काशी है. वह आज भी मौजूद है. इसको देखने के लिए कहीं दूर-दूर से पर्यटक आते हैं और यहां पर घूम कर आनंद भी लेते हैं. यहां पर एक बड़ा सा गार्डन भी है. जहां पर कई प्रकार के गुलाब के फूल लगाए जाते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह महल बगैर छत का है. यहां पर लोग फोटो वीडियो शूट करवाने के लिए भी आते हैं. तो वहीं यहां पर एक जो गार्डन है. वहां पर सबसे अधिक गुलाब के फूल लगाए जाते हैं. रंग-बिरंगे गुलाब के फूल भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. यह सुबह 11:00 बजे से शाम के 4:00 बजे तक गार्डन खुला रहता है. जहां पर आप भी घूमने के लिए जा सकते हैं.
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