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झारखंड के पलामू जिले में स्थित महाभारत कालीन भीम चूल्हा एक प्राचीन और अनोखी ऐतिहासिक धरोहर है. लगभग 170 टन वजनी विशाल पत्थरों से बना यह चूल्हा पांडवों के अज्ञातवास से जुड़ा माना जाता है. सर्दियों में यह स्थल पर्यटन और पिकनिक का प्रमुख केंद्र बन जाता है. जहां पास बहने वाली कोयल नदी की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है.
पलामूः झारखंड की धरती प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगलों और ऐतिहासिक धरोहरों से भरी है, लेकिन जब बात सबसे अनोखी और प्राचीन विरासतों की होती है, तो पलामू जिले के मोहम्मदगंज प्रखंड में स्थित महाभारत कालीन भीम चूल्हा सबसे अलग दिखाई देता है. यह स्थल न केवल ऐतिहासिक शौर्य का प्रतीक है, बल्कि ठंड के मौसम में पर्यटन, पिकनिक और पारिवारिक भ्रमण के लिए लोगों का पसंदीदा ठिकाना बन चुका है. यहां पहुंचने वाले पर्यटक उस पौराणिक कथाओं को महसूस करते हैं, जिनमें बताया जाता है कि 13वें वर्ष के अज्ञातवास के दौरान माता कुंती और पांचों पांडवों ने इसी स्थान पर भोजन तैयार किया था.
भीम चूल्हा अपनी संरचना और आकार को लेकर लोगों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना रहता है. विशालकाय चूल्हे का वजन लगभग 170 टन बताया जाता है, जो पौराणिक कथाओं में वर्णित भीम के असाधारण बल की याद दिलाता है. बड़े-बड़े चट्टानों को जोड़कर बने इस चूल्हे के ऊपर रखी गई विशाल कराह इसे और भी भव्य रूप प्रदान करती है. ऐसा प्रतीत होता है कि मानो प्राचीन काल का इतिहास आज भी इन पत्थरों में जीवित है. ठंड के दिनों में जब धूप हल्की व गर्माहट से भरपूर होती है, तब यह स्थल पर्यटकों के लिए किसी प्राकृतिक आशीर्वाद से कम नहीं लगता.
पर्यटकों की उमड़ती भीड़
हर वर्ष नए साल के मौके पर यहां पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ती है. झारखंड के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आने वाले लोग इस ऐतिहासिक धरोहर को देखने और यहां पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं. जनवरी के पहले सप्ताह में यहां उत्सव का सा माहौल रहता है. परिवार, बच्चे, युवा—सभी इस जगह की विशिष्टता से प्रभावित होकर दिनभर आनंद उठाते हैं. सुरक्षित वातावरण और विशाल प्राकृतिक खुला स्थान इसे सर्दियों में घूमने के लिए और भी उपयुक्त बना देता है.
भीम चूल्हा का आकर्षण सिर्फ इतिहास तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पास बहने वाली कोयल नदी का मनमोहक दृश्य इसकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देता है. शांत बहते जल, नदी किनारे का खुला आकाश और पहाड़ों की पृष्ठभूमि पर्यटकों को लंबे समय तक बांधे रखती है. नदी के किनारे बैठकर प्रकृति की आवाज़ें सुनना और हल्की सर्द हवाओं का आनंद लेना हर आगंतुक के लिए यादगार अनुभव बन जाता है. यहां मछुआरों की नौकाएं और नदी का शांत तट सुकून भरा वातावरण प्रदान करते हैं, जो शहर की भीड़-भाड़ से दूर एक अलग ही दुनिया का एहसास कराता है. सर्दियों में कहीं घूमने का विचार हो, तो महाभारत कालीन भीम चूल्हा प्रकृति, इतिहास और पौराणिक कथाओं का ऐसा अनूठा संगम है.
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मीडिया में 6 साल का अनुभव है. करियर की शुरुआत ETV Bharat (बिहार) से बतौर कंटेंट एडिटर की थी, जहां 3 साल तक काम किया. पिछले 3 सालों से Network 18 के साथ हूं. यहां बिहार और झारखंड से जुड़ी खबरें पब्लिश करता हूं.
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