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मिट्टी ने कर दी मौसम की भविष्यवाणी…आस्था और कृषि की अनोखी विरासत बनी ‘आषाढ़ी तोल, जानें कैसे


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Udaipur News Hindi: श्रीनाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में 350 साल पुरानी ‘आषाढ़ी तोल’ परंपरा के तहत इस वर्ष सामान्य बारिश और अनाज उत्पादन के संकेत मिले. गेहूं, जौ जैसे अनाजों में हल्की बढ़त और मक्का, बाजरा में ग…और पढ़ें

उदयपुर: नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में आषाढ़ी पूर्णिमा के मौके पर एक खास परंपरा निभाई गई. हर साल की तरह इस बार भी श्रीजी प्रभु के सामने 27 अनाजों और चीजों का तोल किया गया, जिसे “आषाढ़ी तोल” कहा जाता है. यह परंपरा पिछले 350 सालों से लगातार निभाई जा रही है और इसके आधार पर बारिश, फसल और मौसम को लेकर अनुमान लगाए जाते हैं. शुक्रवार शाम संध्या आरती के बाद मंदिर के खर्च भंडार में गोस्वामी राकेश महाराज के निर्देश पर पंड्या परेश नागर और खर्च भंडारी प्रकाशचंद्र सनाढ्य की मौजूदगी में यह तोल की प्रक्रिया हुई. इसके बाद शनिवार को इसका परिणाम घोषित किया गया, जो कई लोगों के लिए जानने योग्य रहा. परिणामों की बात करें तो इस साल धान्य यानी अनाज की स्थिति सामान्य बताई गई है. गेहूं, जौ और ज्वार जैसे अनाज में हल्की सी बढ़ोतरी देखी गई.

वहीं उड़द, तिल्ली, चना, सरसों जैसे अनाजों में भी पाव रत्ती तक की बढ़त आई है.दूसरी ओर मक्का, बाजरा, मोठ और घास जैसी चीजों में हल्की गिरावट दर्ज की गई। गुड़ में भी आधा रत्ती की कमी पाई गई, जबकि मूंग, कपास, पीली सरसों और नमक में कोई बदलाव नहीं हुआ.

किसानों के लिए मौसम और खेती का पूर्वानुमान होता
अब बात करते हैं सबसे अहम हिस्से की बारिश के अनुमान की. मिट्टी के पिंडों और उनमें मौजूद नमी के आधार पर बताया गया कि आषाढ़ और श्रावण में तीन-तीन आना बारिश हो सकती है जबकि भादवा और आसोज में चार-चार आना बारिश का संकेत मिला है. यानी कुल मिलाकर बारिश सामान्य रहने की उम्मीद जताई गई है. इसके अलावा वायु दिशा का भी विश्लेषण किया गया जिसमें पाया गया कि इस बार हवा पूर्व दिशा की ओर बहने के संकेत हैं. सबसे खास बात यह है कि ये तोल केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि ग्रामीणों और किसानों के लिए मौसम और खेती का पूर्वानुमान होता है.

खेती-बाड़ी और व्यापार की योजना बनाई
लोग इस नतीजे के आधार पर अपने खेती-बाड़ी और व्यापार की योजना बनाते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि पिछले कई वर्षों से यह अनुमान सटीक साबित हो रहे हैं. श्रीनाथजी की कृपा और श्रद्धा से जुड़ी यह परंपरा आज भी लोगों में उतनी ही आस्था और भरोसे के साथ निभाई जा रही है जैसे पहले निभाई जाती थी. यह अनोखी परंपरा न केवल आध्यात्मिक भावना को जगाती है, बल्कि मौसम और कृषि के संदर्भ में भी ग्रामीण जीवन को दिशा देती है.

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https://hindi.news18.com/news/agriculture/soil-predicted-weather-ashadhi-tol-became-unique-heritage-of-faith-and-agriculture-know-how-local18-9390926.html

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