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लखीमपुर खीरी जिले में शारदा बैराज एक शानदार टहलने और पिकनिक स्थल है. नदी के किनारे स्थित यह जगह मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है और परिवार के साथ समय बिताने के लिए बेहद लोकप्रिय है. शाम के समय यहां पर्यटक और स्थानीय लोग खूबसूरत फोटो खींचने आते हैं. यह स्थान लखीमपुर शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

अगर आप उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में आ रहे हैं और घूमना चाहते हैं तो दुधवा नेशनल पार्क के जंगलों में आनंद ले सकते हैं. दुधवा नेशनल पार्क में विलुप्त प्रजाति के कई वन्य जीव पाए जाते हैं. यहां एक सींग वाले गैंडा, हाथी, भालू जैसे वन्यजीवों का दीदार किया जा सकता है. दुधवा राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में एक संरक्षित क्षेत्र है, जिसकी स्थापना 1977 में की गई थी. यह पार्क 490 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.

अगर आप जंगलों में विचरण करना चाहते हैं और स्वच्छ व सुंदर वातावरण का आनंद लेना चाहते हैं, तो लखीमपुर खीरी जिले के तराई इलाके में स्थित झाड़ी ताल आपके लिए आदर्श जगह है. यहां आपको साफ-सुथरा और हराभरा वातावरण मिलेगा. झाड़ी ताल में सबसे अधिक हिरण देखने को मिलते हैं. यह किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य का ऐसा हिस्सा है जहां दलदली हिरणों (बारहसिंघा) का एक बड़ा जमावड़ा देखा जा सकता है.

लखीमपुर खीरी में शारदा बैराज टहलने के लिए एक शानदार जगह है. यह नदी के किनारे मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है और परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए एक लोकप्रिय स्थल माना जाता है. यह स्थान लखीमपुर शहर से लगभग 28 किलोमीटर दूर है और शारदा सहायक परियोजना का हिस्सा है. बैराज के आसपास का शांत वातावरण और नदी के किनारे टहलने का अनुभव यहाँ विशेष रूप से आनंददायक है.

बाघों के दीदार के लिए प्रसिद्ध किशनपुर रेंज, दुधवा नेशनल पार्क का एक हिस्सा है. अगर आप भी किशनपुर आना चाहते हैं, तो लखीमपुर खीरी जिले से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी तय कर किशनपुर सेंचुरी रेंज पहुंच सकते हैं और जंगलों का आनंद ले सकते हैं. यहां जंगलों में तेंदुए और बाघों के दीदार होते हैं. देश-विदेश से पर्यटक इस अद्भुत प्राकृतिक अनुभव का आनंद लेने आते हैं.

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित सिंगाही गांव जंगलों, चीनी मिलों और गन्ने के खेतों के लिए जाना जाता है. लेकिन, इस शांत और हराभरे इलाके में एक ऐतिहासिक इमारत खड़ी है, जो बीते राजसी दौर की गवाह है—सिंगाही राजमहल, जिसे सूरत भवन पैलेस भी कहा जाता है. सिंगाही राजमहल का निर्माण 19वीं शताब्दी में खैरगढ़–सिंगाही के शाह वंश द्वारा कराया गया था. यह महल उस समय की शाही जीवनशैली, स्थापत्य कला और सामाजिक हैसियत का प्रतीक था. स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां कई बार ब्रिटिश अफसर, विदेशी मेहमान और राजनेता भी अतिथि बनकर आए थे.
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