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हैदराबाद मिंट म्यूज़ियम में भारत के ऐतिहासिक सिक्कों का संग्रह


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हैदराबाद का सैफाबाद मिंट म्यूज़ियम भारत के सिक्कों का पूरा इतिहास एक ही छत के नीचे देखने का अद्भुत अवसर प्रदान करता है. यहां प्राचीन काल के हस्तनिर्मित सिक्कों से लेकर आधुनिक मशीनों से बने सिक्कों तक की रोचक यात्रा प्रदर्शित की गई है. आगंतुक मुगल काल से लेकर वर्तमान समय तक के सिक्कों को नज़दीक से देख सकते हैं.

हैदराबाद का सैफाबाद मिंट म्यूज़ियम वह स्थान है जहाँ भारत के सिक्कों का पूरा इतिहास एक ही छत के नीचे देखने को मिलता है। यहाँ प्राचीन काल के हस्तनिर्मित सिक्कों से लेकर आधुनिक मशीनों से बने सिक्कों तक की रोचक यात्रा को प्रदर्शित किया गया है। आगंतुक मुग़ल काल से लेकर वर्तमान समय तक के सिक्कों को नज़दीक से देख सकते हैं।

हैदराबाद का सैफाबाद मिंट म्यूज़ियम वह स्थान है जहां भारत के सिक्कों का पूरा इतिहास एक ही छत के नीचे देखने को मिलता है. यहां प्राचीन काल के हस्तनिर्मित सिक्कों से लेकर आधुनिक मशीनों से बने सिक्कों तक की रोचक यात्रा प्रदर्शित की गई है. आगंतुक मुगल काल से लेकर वर्तमान समय तक के सिक्कों को नज़दीक से देख सकते हैं.

इस म्यूज़ियम का मुख्य आकर्षण यहाँ रखे ऐतिहासिक सिक्के हैं। इनमें 11 किलो वजन के सोने के सिक्के की प्रतिकृति भी शामिल है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्का माना जाता है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। मुग़लकालीन दुर्लभ सिक्के इतिहास-प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।

इस म्यूज़ियम का मुख्य आकर्षण यहां रखे गए ऐतिहासिक सिक्के हैं. इनमें 11 किलो वजन वाले सोने के सिक्के की प्रतिकृति भी शामिल है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्का माना जाता है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं, मुगल कालीन दुर्लभ सिक्के इतिहास-प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं.

यहां सिक्के बनाने वाली मशीनें भी यहाँ प्रदर्शित हैं, जिनके माध्यम से आप जान सकते हैं कि सिक्के कैसे बनते हैं। कुछ वास्तविक सिक्के भी यहाँ संग्रहित हैं

यहां सिक्के बनाने वाली मशीनें भी प्रदर्शित की गई हैं, जिनके माध्यम से आप जान सकते हैं कि सिक्के कैसे बनते हैं. कुछ वास्तविक सिक्के भी यहां संग्रहित किए गए हैं.

म्यूज़ियम का इतिहास इस भवन का निर्माण 1903 में हैदराबाद के निज़ाम मीर महबूब अली खान ने करवाया था। प्रारंभ में यहाँ सिक्के ढाले जाते थे और यह भारत का पहला ऐसा स्थान था जहाँ मशीनों द्वारा सिक्के बनाए जाते थे। साल 2022 में इसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया, ताकि लोग भारत के मुद्रा इतिहास से परिचित हो सकें।

म्यूज़ियम का इतिहास
इस भवन का निर्माण 1903 में हैदराबाद के निज़ाम मीर महबूब अली खान ने करवाया था. प्रारंभ में यहाँ सिक्के ढाले जाते थे, और यह भारत का पहला ऐसा स्थान था जहां मशीनों द्वारा सिक्के बनाए जाते थे. साल 2022 में इसे एक संग्रहालय में बदल दिया गया, ताकि लोग भारत के मुद्रा इतिहास से परिचित हो सकें.

कैसे पहुँचें म्यूज़ियम पब्लिक गार्डन के समीप, सैफाबाद असेंबली मेट्रो स्टेशन के पास स्थित है, जहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है और सोमवार के दिन बंद रहता है। तो अगली बार जब भी हैदराबाद जाएँ, इस अनोखे संग्रहालय को देखना न भूलें।

म्यूज़ियम पब्लिक गार्डन के समीप, सैफाबाद असेंबली मेट्रो स्टेशन के पास स्थित है, जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. यह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है और सोमवार को बंद रहता है. तो अगली बार जब भी आप हैदराबाद जाएं, इस अनोखे संग्रहालय को देखना न भूलें.

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हैदराबाद के मिंट म्यूज़ियम में है भारत के ऐतिहासिक सिक्कों का संग्रह


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