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हैदराबाद के चारमीनार के पास लाड बाज़ार अब सिर्फ खरीदारी का केंद्र नहीं रहा, बल्कि चूड़ियां बनाने का लाइव अनुभव भी दिखा रहा है. पिघले लाख को रंग-बिरंगी चूड़ियों में ढालते कारीगरों को देखकर पर्यटक और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स खासा आकर्षित हो रहे हैं. परंपरागत ठंडा लाख और अब गर्म लाख की चूड़ियां, दोनों ही हैदराबाद की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं. लकड़ी के औज़ार और एनामेल पेंट से बनी ये हाथ से बनी चूड़ियां सिर्फ दिखने में ही सुंदर नहीं, बल्कि 50 रुपये से शुरू होने वाली कीमत में मिल जाती है.
हैदराबाद. चारमीनार से सटी पश्चिमी गलियों का नज़ारा बदल रहा है. चमकीली चूड़ियों, मोतियों और खड़ाऊ जूतियों के लिए मशहूर लाड बाज़ार अब एक नए आकर्षण से सजा है. जैसे चूड़ियां बनाने के लाइव स्टेशन. बाज़ार में कदम रखते ही आपको दुकानों के बाहर उमड़ती भीड़ नज़र आएगी, जिसका सारा ध्यान उन कारीगरों पर टिका है, जो पिघले हुए लाख को रंग-बिरंगी चूड़ियों में ढाल रहे हैं.
इस बदलाव का श्रेय काफी हद तक सोशल मीडिया को जाता है, पिछले कुछ महीनों में इंस्टाग्राम पर लाड बाज़ार के कारीगरों की रील्स की बाढ़ आ गई है, जिनमें वे लपटों पर लकड़ी की छड़ें घुमाते और चमकती चूड़ियां बनाते दिखाई देते हैं. जो शिल्प कभी कोनों और गुप्त कार्यशालाओं में सिमटा था, वह आज एक खुला दृश्य-अनुभव बन गया है, जो पर्यटकों और इंफ्लुएंसर्स को अपनी ओर खींच रहा है.
हैदराबाद की सांस्कृतिक पहचान
लाख की चूड़ियां बनाने की यह कला पीढ़ियों से हैदराबाद की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रही है. परंपरागत रूप से, कारीगर बंद दरवाजों के पीछे ठंडा लाख की चूड़ियां तैयार करते थे, जो अपनी चमक, जड़े हुए पत्थरों और टिकाऊपन के लिए जानी जाती थी. लेकिन अब गर्म लाख के इस नए चलन ने इसकी निर्माण प्रक्रिया को सबके सामने ला दिया है. लाख एक प्राकृतिक राल है, जो बेर और कुसुम जैसे पेड़ों से प्राप्त होता है, 60 साल पुरानी दुकान ज़ुबैर बैंगल्स के मालिक मोहम्मद अहमद बताते हैं कि यह बेहद सख्त होता है और गर्म करने पर ही मुलायम बनता है, जिससे कारीगर इसे आकार दे पाते हैं. हैदराबाद ने पत्थर जड़ित ठंडे लाख की चूड़ियों के लिए ख्याति अर्जित की है, जबकि जयपुर में गर्म लाख की चूड़ियां बनाना अधिक प्रचलित है. हैदराबाद में इसके आगमन का सटीक इतिहास नहीं पता, पर पिछले 40 सालों से यहां गर्म लाख की चूड़ियां बनते देख जा रहे हैं.
ठंडा लाख की चूड़ियां अक्सर चमकदार और पत्थरों तथा धातु की सजावट से भरपूर होती हैं, वहीं गर्म लाख की चूड़ियां सादगी भरी और देहाती आकर्षण लिए होती हैं, जिनमें एनामेल पेंट की प्राकृतिक चमक और हस्तनिर्मित सौंदर्य झलकता है. हर चूड़ी को लकड़ी के औज़ारों से सावधानीपूर्वक आकार दिया जाता है. कारीगर कोयले की आग पर तपती लकड़ी की छड़ों पर नरम लाख को लपेटते और फैलाते हैं. लाख को रंगोली या स्थानीय भाषा में मीनावर कहलाने वाले एनामेल पेंट के साथ मिलाकर उसे जीवंत और चटक रंग दिए जाते हैं, इन चूडियों की कीमत 50 रुपये से शुरू होती है.
Hello I am Monali, born and brought up in Jaipur. Working in media industry from last 9 years as an News presenter cum news editor. Came so far worked with media houses like First India News, Etv Bharat and NEW…और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/fashion-lakh-bangel-market-in-hyderabad-local18-ws-kl-9813640.html







