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Deoria News In Hindi: देवरिया के माधोपुर, पिपरिया, सरारा और राउतपार में 25 साल पहले शुरू हुआ पौधारोपण आज पर्यटकों का आकर्षण बन गया है. ग्राम प्रधान और वन विभाग के प्रयासों से यह क्षेत्र हरित चमत्कार में बदल गया…और पढ़ें

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हाइलाइट्स
- माधोपुर-पिपरिया में 25 साल की मेहनत से हरियाली आई.
- पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हरा-भरा जंगल.
- स्थानीय किसानों और वन विभाग के प्रयासों से हरित चमत्कार.
Deoria News: लगभग 25 साल पहले जब माधोपुर, पिपरिया, सरारा और राउतपार के आसपास की बंजर भूमि पर पहली बार लकड़ी के बाड़े बनाए गए, तब किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन यही जगह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन जाएगी. ग्राम प्रधान शंकर यादव ने स्थानीय किसानों को एकजुट करके सरकारी योजनाओं से जोड़ा और 30 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में पीपल, घुटेल, शीशम, पकड़ और सहजन के पौधे रोपने की शुरुआत की. वन दरोगा हरिश्चंद्र यादव, विकास सिंह और वनरक्षक शिवम यादव ने मिलकर हर सीजन में निरीक्षण किया, जबकि सुमन सिंह ने बीज बोने से लेकर सिंचाई तक हर प्रक्रिया का ध्यान रखा. वर्षा के पानी को जमा करने के लिए छोटे तालाब और नालियां बनाई गईं, ताकि सूखे के दिनों में भी पौधों को पानी मिल सके.
धीरे-धीरे पेड़ों की कतारें घने पेड़ों में बदल गईं, जहां तितलियां उड़ने लगीं और कोयल की कूक सुनाई देने लगी. इस हरे-भरे कारवां ने आसपास के खेतों में गिरने वाली धूल और गर्मी को भी पीछे छोड़ दिया. स्कूलों के छात्र-छात्राएं वन विज्ञान पर शैक्षिक यात्राएं करने आने लगे और स्थानीय युवा स्वयंसेवकों की टीम बना कर सड़क किनारे पेड़ लगाने का अभियान चलाने लगे.
बैकुंठपुर का हरित चमत्कार
पहले जहां सूखी मिट्टी पर मेहनत की जाती थी, वह आज कैमरों के लिए एक प्राकृतिक फिल्म स्टूडियो जैसा दिखता है. कई शॉर्ट स्टोरीज और वेब सीरीज के प्रोडक्शन हाउस ने यहां की हरियाली में अपने दृश्य फिल्माए. स्थानीय गाइड्स ने ट्रेल मैप तैयार किए हैं, जहां आगंतुक सुबह‑शाम पक्षियों की चहचहाहट सुन सकते हैं और सूर्योदय‑सूर्यास्त की सोनेरी रोशनी में सुंदर तस्वीरें खींच सकते हैं. इको‑टूरिज्म के तहत ग्रामीणों ने होमस्टे और कैम्पिंग की सुविधा शुरू की, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी के साथ पर्यटकों को व्यक्तिगत अनुभव भी मिला.
पर्यटन के बढ़ते दबाव को संतुलित करने के लिए वन विभाग ने नियंत्रित ट्रैक बनाए, मानसून के दौरे को सीमित किया और आग से बचाव के लिए जलभराव प्रणाली को मजबूत किया. स्थानीय कलाकारों ने जंगल से प्रेरणा लेकर चित्रकला, हस्तशिल्प और संगीत कार्यक्रम आयोजित किए, जिससे संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य दोनों को बढ़ावा मिला.
आज माधोपुर-पिपरिया से राउतपार तक फैला हरा-भरा दृश्य दिखाता है कि लगातार प्रयास, सामूहिक संकल्प और संवेदनशील देखभाल से सूखी भूमि में भी जीवन लाया जा सकता है. यह कहानी न सिर्फ देवरिया के ग्रामीणों के परिश्रम की पहचान है, बल्कि पूरे जिले के लिए प्रकृति संरक्षण और सतत विकास का प्रेरणास्त्रोत बन चुकी है.
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