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Famous Temple In Rajasthan | Bhilwara Famous Temple | Navratri Special Trip


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Navratri Special Trip: नवरात्रि के समय भीलवाड़ा का यह प्राचीन शक्तिपीठ श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण बन जाता है. मंदिर अपनी धार्मिक महिमा और भव्यता के लिए जाना जाता है. यहां दर्शन से आध्यात्मिक ऊर्जा और आशीर्वाद दोनों की अनुभूति होती है, जो हर भक्त की यात्रा को यादगार बनाता है.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा: शारदीय नवरात्र नजदीक हैं और भक्त माता रानी के दर्शन के लिए मंदिरों की ओर रुख करेंगे. भीलवाड़ा जिले में कई प्रसिद्ध माता मंदिर और शक्ति पीठ हैं, जहां हर साल नवरात्रि पर विशेष श्रद्धालु भीड़ उमड़ती है. श्रद्धालु यहां माता की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लेते हैं. नवरात्रि के दौरान मंदिरों में भव्य सजावट, अखंड ज्योति, दुर्गा सप्तशती पाठ और गरबा-डांडिया जैसे धार्मिक आयोजन भी विशेष आकर्षण रहते हैं. अगर नवरात्रि के दौरान आप भी माता रानी के दर्शन करने का एक ट्रिप प्लान बना रहे हैं तो यह भीलवाड़ा के कुछ बेस्ट लोकेशन है. जहां पर आप माता रानी के दर्शन कर सकते हैं.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा जिले के आसींद में स्थित बंक्यारानी माता मंदिर करीब 1100 साल पुराना है. बंक्यारानी माता मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है. यहां पर हनुमानजी, भगवान भैरव माता बंक्यारानी का प्रसिद्ध स्थान है. कहते हैं प्रेत बाधा यहां दूर हो जाती है. यहां शनिवार और रविवार को विशेष भीड़ रहती है. मंदिर के पास तालाब है लोग उसमें स्नान करते हैं. पुजारी कहते हैं मंदिर परिसर में आते ही बीमारी से ग्रस्त रोगी के आचार विचार में परिवर्तन आ जाता है. नवरात्रि में तो कई परिवार यहां पूरे 9 दिन रहते हैं. अगर इस मंदिर की खासियत की बात की जाए तो यहां दर्शन के लिए भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अजमेर, राजसमंद सहित प्रदेश भर से श्रद्धालु आते हैं.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा शहर के पुराना भीलवाड़ा क्षेत्र में स्थित जूनावास में खेड़ा कूट माताजी का मंदिर स्थित है. मंदिर लगभग 500 से 600 वर्ष प्राचीन है. यहां पर कई पीढ़ियों से भक्त निरंतर दर्शन करने के लिए आ रहे हैं. इस मंदिर में माता रानी के साथ उनके साथ बहनें भी विराजमान हैं. यहां पर साल के 365 दिन ही भक्तों दर्शन करने के लिए आते हैं और नवरात्रि के समय यहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि माता रानी के अरदास लगाने से भक्तों की मनोकामना पूरी हो जाती है. यही नहीं दावा किया जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को लकवे की बीमारी हो जाती है तो मंदिर में परिक्रमा करने से उनकी बीमारी काफी हद तक ठीक हो जाती है.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा शहर के छोटी हरणी में चामुंडा माता मंदिर एक ऊंचे पहाड़ पर विराजमान हैं. मान्यता है कि मां चामुण्डा प्राचीन समय में आसपास के गावों में आने वाले चोरों से सचेत करती थीं. माता गांव वालों को पहाड़ी से ही आवाज लगाकर चोरों के गांव में आने का संदेश देती थी.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा जिले के गंगापुर में ये मंदिर स्थित है. भरकादेवी गंगापुर से 10 किमी दूर भरक गांव की पहाड़ी पर हैं. गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आसाम, पंजाब, हिमाचल, केरल, तमिलनाडु में व्यापारियों ने अपने ब्रांड का नाम भरका देवी ब्रांड के नाम रखा है. भरका देवी विकास समिति मंदिर की देखरेख करती है. पहले मंदिर के लिए 763 सीढ़ियां चढ़नी होती थीं. ठहरने के लिए विश्राम गृह का निर्माण किया गया. मंदिर में एक साथ लगभग 3000 लोगों के बैठने की क्षमता है. अन्य प्रदेशों में विभिन्न व्यवसाय कर रहे व्यापारियों के लिए भरका देवी ईष्ट हैं.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा धनोप में स्थित धनोप माता की एक अनोखी मान्यता वाली देवी हैं. कहते हैं टीले की खुदाई में 7 बहनें प्रकट हुई थीं. ये धनोप माता मंदिर 1100 साल पुराना है. संवत 1194 में राजा पृथ्वीराज चौहान और जयचंद ने यहां सभा मंडप और एकलिंग नाथ की स्थापना कराई थी. इसका उल्लेख शिलालेख पर है. यहां दाधीच पुजारी 22 पीढ़ियों से पूजा कर रहे हैं. मंदिर में माता की 7 मूर्तियां अष्टभुजा, अन्नपूर्णा, चामुंडा, बीसभुजा (महिषासुर मर्दिनी) एवं कालिका रूप में विराजित हैं. माता की 2 मूर्तियां श्रृंगार के अंदर विराजित हैं.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ बाण माता का मंदिर है. बाण माता का मंदिर मांडलगढ़ क्षेत्र में पहाड़ी पर बना है. नवरात्रि में माता का प्रतिदिन अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है. यह मंदिर अपने आप में बहुत प्राचीन होने के साथ ही बहुत खास है. कहते हैं यहां पर दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा जिले में एक ऐसा शक्ति पीठ है जो नवरात्रि में सात दिन बंद रहता है. यह मंदिर जहाजपुर की घाटा रानी माताजी का है, जो भक्तों के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र बन चुका है. मंदिर कां गर्भ गृह दर्शन के लिए 7 दिन बंद रहता है. इसके बाद अष्टमी को पट खुलते है तब भक्त माता के दर्शन करते हैं. इस मंदिर के पट दोनों नवरात्रि में घट स्थापना होने के पहले अमावस्या की संध्या आरती के साथ ही बंद कर दिए जाते है.

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नवरात्रि में भीलवाड़ा के फेमस शक्तिपीठों के दर्शन करने से पूरी होती मनोकामनाएं


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