धार जिले की खासियत
धार में पर्यटन स्थल
मांडू का ऐतिहासिक वैभव- धार जिले का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मांडू है, जो अपनी मध्यकालीन वास्तुकला की वजह से दुनियाभर में जाना जाता है. मांडू में जहाज महल, रानी रूपमती महल, हिंडोला महल, जामी मस्जिद और नीलकंठेश्वर मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं. इनके अलावा यहां का हाथी दरवाजा और शिव मंदिर भी अतुलनीय हैं. मांडू की गलियां और महल इतिहास की गाथाएं बयां करते हैं जो पर्यटकों को भटकने का आनंद देती हैं. यहां रानी रुपमती की कहानियां लोकगीतों में हमेशा गूंजती रहती है. रूपमती एक बहुत ही सुंदर और प्रतिभाशाली रानी थी जो मालका के अंतिम हिन्दू शासक बाज बहादुर रानी बनी. इन दोनों की प्रेम कहानी विश्व विख्यात बनी. लेकिन मुगल सम्राट अकबर ने मालवा पर आक्रमण किया. बाज बहादुर और रूपमती ने मिलकर संघर्ष किया लेकिन अकबर की सेना ने बाज बहादुर को हरा दिया. रूपमती ने खुद को जहरीला पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली ताकि अकबर के हाथ न लगे.

धार्मिक स्थल और मंदिर-धार जिले में कई प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. धार किला के पास स्थित कालिका मंदिर, धारेश्वर मंदिर और बड़ा गणपति मंदिर प्रसिद्ध हैं. भोजशाला मस्जिद और लाट मस्जिद इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं. भोपावर जैन तीर्थ और मोहनखेड़ा जैसे तीर्थ स्थल भी पूजा-भक्तियों के लिए महत्वपूर्ण हैं.

बाघ की गुफा- धार जिले में स्थित बाघ की गुफाएं मध्य प्रदेश की विंध्य पर्वतमाला की दक्षिणी ढलानों पर, बाघ नामक कस्बे के पास हैं. ये गुफाएं बौद्ध धर्म से जुड़ी प्राचीन संरचनाएं हैं, जिन्हें छठी शताब्दी के आसपास गुप्त काल में बनाया गया था. कुल नौ गुफाओं का यह समूह अपनी उत्कृष्ट शिल्पकारी और भित्ति चित्रों (म्यूरल पेंटिंग्स) के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें अजंता गुफाओं की तरह उच्च कला का नमूना माना जाता है. बाघ गुफाओं में बड़े-बड़े मंडप, स्तूप, और भिक्षुओं के रहने के लिए बने मठ जैसे कोठरियां मिलती हैं. इनमें द्वितीय गुफा विशेष रूप से पांडव गुफा के नाम से जानी जाती है और यह सबसे विस्तृत और संरक्षित गुफा है. गुफाओं के चित्र न केवल धर्म और संस्कृति दर्शाते हैं, बल्कि उस समय की समाज व्यवस्था और जीवनशैली की झलक भी प्रस्तुत करते हैं.
डाइनोसोर फॉसिल नेशनल पार्क-धार जिले में ही डाइनासोर फॉसिल नेशनल पार्क है. यहां प्राचीन काल के अनेक जीव-जंतुओं और पौधों के जीवाश्म सुरक्षित हैं. ये जीवाश्म करोड़ों वर्षों पुराने हैं और पृथ्वी के प्राचीन युग की भूगर्भीय जानकारी देते हैं. यह पार्क लगभग 89 हेक्टेयर में फैला हुआ है और नर्मदा घाटी के इस क्षेत्र को जीवाश्मों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाता है. यहां मिलते हैं 6.5 करोड़ वर्ष पुराने शाकाहारी डायनासोर के कठोर अंडों के जीवाश्म मिले हैं जो इतिहास में सबसे बड़े अंडों में गिने जाते हैं. नर्मदा घाटी में 7.4 से 10 करोड़ वर्ष पुराने शार्क मछलियों के जीवाश्म भी मौजूद हैं. इसके अलावा 7 करोड़ वर्ष पुराने विशाल पेड़ और 8.6 करोड़ वर्ष पुराने समुद्री जीव के जीवाश्म भी यहां संरक्षित हैं.
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