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Uttarkashi News in Hindi : ये पवित्र और रहस्यमयी स्थल है, जहां आस्था, प्रकृति और शांति का अनूठा संगम दिखेगा. ये झील घने देवदार और ओक के जंगलों से घिरी है. आज ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए बेहतरीन स्पॉट है.

डोडीताल (Dodital) उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का एक शांत और सुंदर झील है, जो समुद्र तल से लगभग 3,024 मीटर (करीब 10,000 फीट) की ऊंचाई पर है. ये झील घने देवदार और ओक के जंगलों से घिरी हुई है और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए एक बेहतरीन जगह मानी जाती है. यहां का प्राकृतिक सौंदर्य मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है. ये जगह पौराणिक मान्यताओं के कारण भी महत्त्वपूर्ण है.

डोडीताल का धार्मिक महत्त्व बहुत गहरा है. ब्रह्मचारी महेश स्वरूप बताते हैं कि यही वो स्थान है जहां माता पार्वती ने भगवान गणेश को जन्म दिया था. कहा जाता है कि माता पार्वती यहां स्नान कर रही थीं और उन्होंने अपने तन की मैल से एक बालक (गणेश) को उत्पन्न किया, जिसे उन्होंने दरवाजे पर पहरा देने को कहा. इस मान्यता के अनुसार, यह झील भगवान गणेश का जन्मस्थल है. झील के किनारे एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है, जहां भक्त श्रद्धा से पूजा करते हैं.

डोडीताल पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले तक पहुंचना होगा. दिल्ली या देहरादून से आप बस, टैक्सी के जरिए उत्तरकाशी पहुंच सकते हैं. देहरादून से उत्तरकाशी की दूरी करीब 160 किलोमीटर है, जिसे तय करने में लगभग 6 से 7 घंटे लगते हैं. उत्तरकाशी से 12 किलोमीटर दूर संगमचट्टी नामक जगह से ट्रेक की शुरुआत होती है. यहीं से पैदल यात्रा शुरू होती है जो आपको बेवर होते हुए डोडीताल तक ले जाती है.

डोडीताल का ट्रेक आमतौर पर 3 से 4 दिनों में पूरा किया जाता है. पहला दिन संगमचट्टी से बेवर (8 किमी) तक ट्रेक होता है, दूसरा दिन, बेवर से डोडीताल (लगभग 16 किमी) तक. तीसरे दिन ट्रेकर्स वापस बेवर लौटते हैं और चौथे दिन संगमचट्टी होते हुए उत्तरकाशी पहुंचते हैं. हालांकि, अगर आप फिट हैं और समय की कमी है, तो ये ट्रेक 3 दिनों में भी पूरा किया जा सकता है.

इस ट्रेक के दौरान मौसम बदलता रहता है, इसलिए गर्म कपड़े और वाटरप्रूफ जैकेट जरूरी हैं. अच्छे ग्रिप वाले ट्रेकिंग शूज, पानी की बोतल, एनर्जी बार, टॉर्च, पर्सनल दवाइयां, स्लीपिंग बैग और रेनकोट जरूर रखें. चूंकि कई बार नेटवर्क नहीं होता, इसलिए अपने साथ जरूरी दस्तावेज और आईडी प्रूफ भी रखें, जो किसी फॉरेस्ट परमिट के समय काम आ सकते हैं.

डोडीताल ट्रैक के लिए अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर तक का समय सबसे परफेक्ट माना जाता है. इन महीनों में मौसम साफ और ठंडक भरा होता है, जिससे ट्रेकिंग आसान होती है और दृश्य बहुत खूबसूरत दिखते हैं. बर्फबारी का अनुभव लेना हो तो दिसंबर से फरवरी का समय चुना जा सकता है, लेकिन इस दौरान ट्रेक थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

अगर आप पहली बार ट्रेकिंग कर रहे हैं या छोटे ग्रुप में हैं, तो लोकल गाइड लेने में समझदारी है. रास्ते में कई जगह ऐसे मोड़ आते हैं जहां बिना गाइड के भटकने का खतरा रहता है. लोकल गाइड न सिर्फ सुरक्षित ट्रेकिंग सुनिश्चित करते हैं बल्कि आपको उस इलाके की संस्कृति, वनस्पति और झील से जुड़ी कहानियों की जानकारी भी देते हैं. आमतौर पर एक गाइड का शुल्क 800 से 1,200 रुपये डेली होता है.
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