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Aniruddhacharya Shocks: यह चर्चा सिर्फ एक महिला और एक बाबा के बीच की नहीं थी, बल्कि समाज के उस हिस्से की थी जहां बेटियों की भूमिका को लेकर आज भी कई सवाल हैं.
Aniruddhacharya Shocks: हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ, जिसमें आध्यात्मिक गुरु अनिरुद्धाचार्य और एक महिला के बीच एक खुली बातचीत ने लाखों लोगों का ध्यान खींचा. यह चर्चा एक साधारण सवाल से शुरू हुई, लेकिन उस सवाल ने हमारे समाज में गहराई से जमी सोच और पारिवारिक जिम्मेदारियों की असलियत को सामने ला दिया. महिला ने कार्यक्रम में भाग लेते हुए यह सवाल पूछा कि अगर वह शादी के बाद भी अपने माता पिता और भाइयों की देखभाल करना चाहें, तो क्या यह गलत होगा? उनका सवाल सीधा था, लेकिन जवाब में जो ताना मिला, वह कहीं गहराई से सोचने पर मजबूर कर गया.
अनिरुद्धाचार्य ने तंज कसते हुए कहा, “अभी शादी हुई नहीं और पहले से ही ससुराल में पांव टिकेंगे?” इस एक लाइन से कई लोगों को यह लगा कि शादी के बाद महिला की पहली ज़िम्मेदारी केवल ससुराल के लोगों की होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जब सभी लड़कियों का ध्यान अपनी मां पर ही रहेगा, तो सास ससुर की देखभाल कौन करेगा?
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इस पर महिला ने जवाब दिया कि लड़के भी बदल जाते हैं, बहुएं आ जाती हैं और माता पिता अकेले पड़ जाते हैं. बात कहीं ना कहीं सच्चाई को छूती है. क्योंकि आज भी कई घरों में बेटियों को अपने घर लौटकर माता पिता की सेवा करना सही नहीं माना जाता.
इस बहस के बाद एक डॉक्टर श्रीधर ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि भारत में अब भी ज़्यादातर परिवारों में बेटियों से उम्मीद की जाती है कि वह शादी के बाद ससुराल को ही अपना सब कुछ मानें. लेकिन असल में, यह सोच अब समय के साथ बदलनी चाहिए.
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