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जिस बच्चे को समय पर टीका नहीं लगा क्या उसे बीमारी हो जाएगी? डॉक्टर से जानिए ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए


Child Vaccination: जन्म के बाद बच्चे का टीकाकरण बेहद जरूरी है. ये सभी टीके बच्चे को खसरा, चिकनपॉक्स और पोलियो जैसी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं. वैसे तो शिशुओं को अपनी माताओं से कुछ बीमारियों से सुरक्षा मिलती है, लेकिन यह केवल 6 महीने की उम्र तक ही रहती है. इसलिए बच्चे के जन्म से ही समय पर टीकाकरण बेहद जरूरी है. ये वैक्सीनेशन बच्‍चे के इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करने के लिए बेहद जरूरी हैं. इनको लगवाने के बाद बच्चा का कई जानलेवा बीमारियों से बचाने हो सकता है. अब सवाल है कि आखिर बच्चे का टीकाकरण जरूरी क्यों? किस उम्र में कौन सा टीका लगाया जाता है? अगर समय पर टीका न लगे तो क्या होगा? समय पर टीका न लगने से किन बीमारियों का जोखिम? इस बारे में Bharat.one को बता रहे हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कैलाश सोनी-

मायो क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, बचपन में लगाए जाने वाले टीके बच्चों को कई तरह की गंभीर या संभावित रूप से घातक बीमारियों से बचाव करते हैं. इसलिए रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) 18 वर्ष की आयु तक डिप्थीरिया, हेमोफिलियस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (हिब), हेपेटाइटिस ए, बी, एचपीवी, खसरा, पोलियो, रोटावायरस, चेचक और काली खांसी जैसे टीके लगवाने सलाह देता है.

किस उम्र में कौन सा टीका लगता है?

हेपेटाइटिस ए: एक साल के होने के बाद बच्‍चे को हेपेटाइटिस ए टीका लगाया जाता है. इस वैक्सीनेशन से इम्‍युनिटी बूस्ट होती है और लीवर से जुड़ी जटिलताओं का खतरा कम होता है. इस वैक्‍सीन की दूसरी डोज 18 से 19 महीने के बीच दी जाती है.

चिकनपॉक्‍स का टीका: बच्चे को चिकनपॉक्स का टीका 12 से 15 महीने में लगता है. इस टीके से बच्‍चे को चिकनपॉक्‍स और इससे होने वाली गंभीर जटिलताओं जैसे कि बैक्‍टीरियल स्किन इंफेक्‍शन, निमोनिया और एंसेफलाइटिस से बचाव मिलता है.

एमएमआर वैक्‍सीन: 15 महीने का बच्चा होने पर उसे एमएमआर की दूसरी डोज दी जाती है. यह टीका बच्‍चे को खसरा और रूबैला जैसी बीमारियों से बचाव होता है. खसरे से निमोनिया, मस्तिष्‍क में सूजन और मृत्‍यु होने तक का जोखिम रहता है. रूबैला से बहरापन हो सकता है.

पीसीवी बूस्‍टर: शुरू में पीसीवी बूस्‍टर के 3 शॉट लगने के बाद 15 माह के शिशु को एक-एक और टीका लगता है. खासतौर पर 2 साल से कम उम्र के बच्‍चों में निमोनिया का खतरा रहता है क्‍योंकि बच्‍चे का इम्‍यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है.

हिब बूस्‍टर: इस टीके बच्‍चे का ब्रेन डैमेज और बहरेपन से बचाव होता है. इसकी पहली डोज 2 महीने पर, दूसरी 4 महीने में, तीसरी 6 माह और चौथी डोज 12 से 15 महीने की उम्र लगती है. हालांकि, भारत में शिशु को लगने वाले टीके का डोज और उम्र अलग हो सकती है.

अगर समय पर टीका न लगे तो क्या होगा?

डॉ. कैलाश सोनी बताते हैं कि, बच्चे को सभी टीके लगने बहुत जरूरी हैं, भले ही समय से थोड़ा आगे-पीछे ही लगवाएं. ऐसा न होने से बच्चे में खसरा, पोलियो, काली खांसी और मेनिनजाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है. यही नहीं, कई बार स्थायी विकलांगता के कारण उसकी जान भी जा सकती है. कुछ बच्चों में पोलियो जैसी बीमारियों से लकवा भी मार सकता है.

ऐसी स्थिति में क्या करें

अगर बच्चे को समय पर टीका नहीं लग पाया है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. उनकी सलाह से टीके को समय से कुछ बाद में लगवा सकते हैं. ऐसा करने से गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकता है. साथ ही, समुदाय में रहने वाले कमजोर इम्युनिटी के बच्चे भी सुरक्षित रह सकेंगे.


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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-vaccination-not-on-time-can-cause-which-illness-doctor-kailash-soni-explains-what-to-do-ws-kln-9614427.html

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