मायो क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, बचपन में लगाए जाने वाले टीके बच्चों को कई तरह की गंभीर या संभावित रूप से घातक बीमारियों से बचाव करते हैं. इसलिए रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) 18 वर्ष की आयु तक डिप्थीरिया, हेमोफिलियस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (हिब), हेपेटाइटिस ए, बी, एचपीवी, खसरा, पोलियो, रोटावायरस, चेचक और काली खांसी जैसे टीके लगवाने सलाह देता है.
हेपेटाइटिस ए: एक साल के होने के बाद बच्चे को हेपेटाइटिस ए टीका लगाया जाता है. इस वैक्सीनेशन से इम्युनिटी बूस्ट होती है और लीवर से जुड़ी जटिलताओं का खतरा कम होता है. इस वैक्सीन की दूसरी डोज 18 से 19 महीने के बीच दी जाती है.
एमएमआर वैक्सीन: 15 महीने का बच्चा होने पर उसे एमएमआर की दूसरी डोज दी जाती है. यह टीका बच्चे को खसरा और रूबैला जैसी बीमारियों से बचाव होता है. खसरे से निमोनिया, मस्तिष्क में सूजन और मृत्यु होने तक का जोखिम रहता है. रूबैला से बहरापन हो सकता है.

पीसीवी बूस्टर: शुरू में पीसीवी बूस्टर के 3 शॉट लगने के बाद 15 माह के शिशु को एक-एक और टीका लगता है. खासतौर पर 2 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का खतरा रहता है क्योंकि बच्चे का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है.
अगर समय पर टीका न लगे तो क्या होगा?
ऐसी स्थिति में क्या करें
अगर बच्चे को समय पर टीका नहीं लग पाया है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. उनकी सलाह से टीके को समय से कुछ बाद में लगवा सकते हैं. ऐसा करने से गंभीर बीमारियों से बचाव हो सकता है. साथ ही, समुदाय में रहने वाले कमजोर इम्युनिटी के बच्चे भी सुरक्षित रह सकेंगे.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-vaccination-not-on-time-can-cause-which-illness-doctor-kailash-soni-explains-what-to-do-ws-kln-9614427.html