मेलिओइडोसिस Burkholderia pseudomallei नामक बैक्टीरिया से फैलती है, जो मिट्टी और गंदे पानी में पाया जाता है. खेतों में काम करने वाले किसान, कीचड़ या गीली मिट्टी के संपर्क में आने वाले लोग इस बीमारी के सबसे आसान शिकार हैं. यह बीमारी शरीर के कई अंगों, जैसे फेफड़े, त्वचा और गंभीर मामलों में मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकती है. इसके लक्षण टीबी जैसे दिखते हैं, जिसके कारण इसका पता लगाना मुश्किल हो सकता है. मध्य प्रदेश के 20 से ज्यादा जिलों में इस बीमारी के मामले सामने आए हैं, जो दर्शाता है कि यह अब राज्य में स्थानीय (Endemic) बीमारी बन चुकी है.
लक्षण
मेलिओइडोसिस के लक्षण शुरू में सामान्य बुखार जैसे होते हैं, लेकिन यह धीरे-धीरे गंभीर हो सकते हैं. इसमें फेफड़ों में संक्रमण, त्वचा पर फोड़े-फुंसी, और गंभीर मामलों में मस्तिष्क तक संक्रमण फैलने का खतरा रहता है. शुरुआती लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है, इसलिए सतर्कता बहुत जरूरी है.
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि खेतों में काम करते समय पूरी सावधानी बरतें. हाथों और पैरों को ढककर रखें, ताकि मिट्टी या गंदे पानी के संपर्क में न आएं. मधुमेह रोगियों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है. इसके अलावा, स्वच्छता का ध्यान रखना और समय पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है.
इस बीमारी से बचने के लिए जागरूकता और सही समय पर इलाज बहुत महत्वपूर्ण है. अगर आपको बुखार, त्वचा पर फोड़े, या अन्य असामान्य लक्षण दिखें, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करवाएं.
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