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नए घर में पंडित जी नें करवाई है दूध उबालने की रस्म, क्या जानते हैं इसके पीछे की वजह? क्या कहता है वास्तु शास्त्र

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Grah Pravesh Tips : गृह प्रवेश के दिन दूध उबालने का काम एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसका उद्देश्य घर में समृद्धि, शांति और सुख की स्थापना करना है. यह न सिर्फ पूजा का एक हिस्सा है, बल्कि घर के प्रत्येक …और पढ़ें

नए घर में पंडित जी नें करवाई है दूध उबालने की रस्म, क्या है इसके पीछे का कारण?

क्यों उबालते हैं दूध?

हाइलाइट्स

  • गृह प्रवेश के दिन दूध उबालना शुभ माना जाता है.
  • दूध उबालने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है.
  • खीर का प्रसाद परिवार को एकजुट करता है और आशीर्वाद लाता है.

Grah Pravesh Tips : गृह प्रवेश हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो किसी नए घर में पहली बार प्रवेश करते समय किया जाता है. इस दिन का महत्व सिर्फ घर के नए वातावरण को शुद्ध करने का नहीं होता, बल्कि यह घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के लिए भी होता है. इस विशेष दिन पर कई धार्मिक कर्मकांड और पूजा विधियां की जाती हैं, जिनमें से एक खास काम है दूध उबालना. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गृह प्रवेश के दिन दूध क्यों उबालना चाहिए? इस आर्टिकल में हम जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से इसके पीछे की धार्मिक मान्यता और महत्व को समझेंगे.

गृह प्रवेश पूजा का महत्व
गृह प्रवेश पूजा, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, नए घर में प्रवेश करने से पहले की जाने वाली पूजा है. हिंदू परंपरा में इसे बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मक प्रभावों से बचाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शुभ मुहूर्त में इस पूजा के द्वारा घर में शांति, सुख और समृद्धि की शुरुआत होती है. इस दिन पूजा के दौरान घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाए जाते हैं और घर के प्रमुख स्थानों पर गंगाजल छिड़का जाता है ताकि घर में शांति और समृद्धि का वास हो.

क्यों उबालना चाहिए दूध?
गृह प्रवेश के दिन दूध उबालने का विशेष महत्व है. पंडित जी के अनुसार, इस दिन महिलाओं को रसोईघर में नए बर्तन में दूध उबालने की सलाह दी जाती है. यह कार्य न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है. जब दूध उबालता है, तो यह एक प्रतीक होता है कि घर में जीवन की सभी खुशियां और समृद्धि उबाल कर बाहर आएगी.

दूध उबालने के बाद, उसमें चावल और चीनी डालकर मीठे चावल यानी खीर का प्रसाद तैयार किया जाता है. इसे पूजा में चढ़ाया जाता है और घर के सभी सदस्य इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. यह कार्य न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक परंपरा भी है जो परिवार को एकजुट करती है और सद्भावना को बढ़ावा देती है.

दूध उबालने का धार्मिक महत्व
दूध उबालने की रस्म को घर में देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम माना जाता है. यह मान्यता है कि इस क्रिया के द्वारा घर के सभी सदस्यों के जीवन में खुशहाली, समृद्धि और शांति का आगमन होता है. इस दिन घर की महिला को रसोई में पहले दूध उबालने के लिए कहा जाता है, क्योंकि वह घर की लक्ष्मी मानी जाती है और उसका आशीर्वाद पूरे परिवार को मिलता है. उबला हुआ दूध खीर में बदल जाता है, जिसे पूजा में चढ़ाकर देवताओं का आशीर्वाद लिया जाता है.

खीर का प्रसाद और आशीर्वाद
गृह प्रवेश पूजा के दौरान खीर का प्रसाद बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस खीर को हवन में चढ़ाने के बाद ब्राह्मणों को खिलाना चाहिए, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके. पूजा के दौरान यह खीर घर के सभी सदस्यों और रिश्तेदारों में वितरित की जाती है, ताकि सभी को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त हो. यह एक सामूहिक उत्सव होता है, जो परिवार के बीच प्रेम और सामंजस्य को बढ़ावा देता है.

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नए घर में पंडित जी नें करवाई है दूध उबालने की रस्म, क्या है इसके पीछे का कारण?


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