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Chaitra Navratri Kanya Pujan: नवरात्रि के कन्या पूजन में क्यों बिठाते हैं एक लांगुरा? जानें इसके पीछे की वजह

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Chaitra Navratri Kanya Pujan : चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. कन्याओं के साथ एक बालक लांगुरा को भी बिठाया जाता है, जिसे भैरव बाबा का स्वरूप माना जाता है. बिना लांगुरा के पूजन अधूरा माना जाता ह…और पढ़ें

नवरात्रि के कन्या पूजन में क्यों बिठाते हैं एक लांगुरा? जानें इसकी वजह

कन्या पूजन के वक्त एक लांगुरा भी बिठाया जाता है.

हाइलाइट्स

  • चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है.
  • लांगुरा को भैरव बाबा का स्वरूप माना जाता है.
  • लांगुरा के बिना नवरात्रि व्रत पूर्ण नहीं होता है.

Chaitra Navratri Kanya Pujan : नवरात्रि का पर्व साल में चार बार मनाया जाता है. दो बार गुप्त नवरात्रि के रूप में और दो बार चैत्र नवरात्रि और शरदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष विधान है. 9 दिन व्रत रहने के बाद लोग कन्या पूजन करते हैं. कन्या पूजन के समय कन्याओं के साथ एक बालक को भी लांगुरा के रूप में बिठाया जाता है.हर घर में इस लांगुरा को बिठाया जाता है पर किसी को इसके पीछे का राज पता नहीं होता.यह बालक क्यों बिठाया जाता है, आइये बताते हैं आपको.

कन्या के साथ बिठाते हैं लांगुरा : मान्यता है कि नवरात्रि के 9 दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा और व्रत करते हैं. उन पर माता की विशेष कृपा बनी रहती है. मां अपने सभी भक्तों के सब दुख दूर कर देती हैं. कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का व्रत और अनुष्ठान संपूर्ण नहीं माना जाता है. अष्टमी अथवा नवमी के दिन लोग अपने घर कन्याओं को बुलाकर पूजन करते हैं. इस पूजन के दौरान कन्याओं के साथ एक बालक को बिठाया जाता है, जिसे लांगुरा कहते हैं.

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मां दुर्गा के पहरेदार हैं भैरव : नौ कन्याओं को माता के नौ स्वरूप माना जाता है और उस लंगूर को भैरव बाबा का स्वरूप माना जाता है. नवरात्रि में कन्याओं के साथ लांगुर को बिठाने की एकमात्र वजह है कि भैरव बाबा को मां दुर्गा का पहरेदार माना जाता है. मान्यता है बिना पहरेदार के मां दुर्गा कहीं भी नहीं जाती है.

लांगुरा के बिना नवरात्रि व्रत पूर्ण नहीं : एक कथा के अनुसार आपद नाम का राक्षस लोगों को काफी परेशान करता था. तभी शिवजी ने एक उपाय निकाला, शिवजी ने कहा सभी देवी देवता अपनी अपनी शक्तियों से एक बालक की उत्पत्ति करें. जिससे आपद राक्षस का वध हो सके. सभी देवी देवताओं ने मिलकर यही किया और बालक का नाम बटुक भैरव रखा गया. कन्या पूजन के वक्त जिस लंगूर को बिठाकर पूजन किया जाता है. यह वही बटुक भैरव का रूप माने जाते हैं. देवी स्वरूप कन्याओं के साथ इनका भी पूजन किया जाता है. बिना बटुक भैरव के पूजन के कन्या पूजन और नवरात्रि का पर्व संपन्न नहीं होता है.

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नवरात्रि के कन्या पूजन में क्यों बिठाते हैं एक लांगुरा? जानें इसकी वजह


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