Dev Uthani Ekadashi 2025 Today: आज देवउठनी एकादशी तिथि का व्रत किया जाएगा, हर वर्ष कार्तिस मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यह व्रत किया जाता है. हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं और इसी के साथ शुभ व मांगलिक कार्यक्रम जैसे शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार आदि शुरू हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी का महत्व, पूजा विधि और पूजन के लिए शुभ मुहूर्त…
देवउठनी एकादशी 2025 पूजन मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 19 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा कुंभ राशि में संचार करने वाले हैं. देवउठनी एकादशी पर पंचक काल पूरे दिन रहने वाला है. वहीं भद्रा शाम 8 बजकर 27 मिनट से अगले दिन 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी. देवउठनी एकादशी पर पूजन के लिए अभिजीत मुहूर्त और गोधूलि मुहूर्त सबसे उत्तम माना जाता है.
विजय मुहूर्त: 01:55 पी एम से 02:39 पी एम
गोधूलि मुहूर्त: 05:36 पी एम से 06:02 पी एम
निशिता मुहूर्त: 11:39 पी एम से 12:31 ए एम, 2 नवंबर
रवि योग: 06:33 ए एम से 06:20 पी एम

देव उठनी एकादशी 2025
एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 नवंबर, सुबह 9 बजकर 13 मिनट से
एकादशी तिथि समापन: 2 नवंबर, सुबह 7 बजकर 33 मिनट तक
देवउठनी एकादशी पारण मुहूर्त : 3 नवंबर, सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट तक
देव उठनी एकादशी 2025 शुभ योग
देवउठनी एकादशी के दिन रवि योग, वृद्धि योग, ध्रुव योग, हंस राजयोग और रूचक राजयोग बन रहा है, जिससे आज के दिन का महत्व और भी बढ़ गया है. इन शुभ योग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सभी कार्य कार्य सिद्ध होते हैं और परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. इस दिन किया गया दान, व्रत, स्नान, दीपदान और जप 1000 गुना फल देता है.
देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व
स्कंद और पद्म पुराण में देवउठनी एकादशी का विशेष उल्लेख मिलता है, जिसमें बताया गया है कि देवउठनी एकादशी तिथि को श्री हरि चार माह की योग निद्रा से जागृत होते हैं और सृष्टि का संचालन करना शुरू करते हैं और साथ ही इसके बाद से घर-घर में शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है. देवउठनी एकादशी को देवोत्थान एकदशी भी कहा जाता है और उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में इस दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार, तुलसी पूजन और विवाह कराने से कन्यादान जैसा पुण्य प्राप्त होता है और व्रत रखने से भाग्य चमकता है और सभी कार्य सफल होते हैं. भगवान विष्णु के जागरण के साथ सभी शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है. विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत आदि सभी मांगलिक कार्य इस दिन से पुनः प्रारंभ किए जाते हैं.
देवउठनी एकादशी पूजा विधि
आज देवउठनी एकादशी की पूजा करने के लिए सुबह भोर में उठकर नित्य कर्म स्नान आदि करने के बाद इसके बाद एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा चित्र स्थापित करें. भगवान विष्णु के पास तुलसी और शालीग्राम अवश्य रखें. इसके बाद चारों तरह गंगाजल का छिड़काव करें. साथ ही इस दिन पीले वस्त्र धारण करें. अब पूजा स्थल पर गाय के गोबर में गेरु मिलाकर भगवान विष्णु के चरण चिह्न बनाएं और चंदन, अक्षत, फल, फूल, धूप, दीप, मिठाई आदि अर्पित करें. साथ ही नए मौसमी फल अर्पित करें. अब दान की सामग्री, जिनमें अनाज और वस्त्र हैं, अलग से तैयार करें. दीपक जलाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें और शंख-घंटी बजाते हुए ‘उठो देवा, बैठो देवा’ मंत्र का उच्चारण करें, जिससे सभी देवता जागृत हों. पंचामृत का भोग लगाएं. अगर आप व्रत रखते हैं तो तिथि के अगले दिन पारण करते समय ब्राह्मण को दान दें.
मंत्र – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय और ॐ नमो नारायणाय
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
शांताकारं मंत्र
शांताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्णं शुभांगम्।
लक्ष्मीकांतं कमल नयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
विष्णुजी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/dharm/dev-uthani-ekadashi-2025-today-know-puja-vidhi-and-shubh-muhurat-vishnu-ji-mantra-and-aarti-and-importance-of-dev-prabodhini-ekadashi-ws-kl-9801071.html