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Dussehra 2025: मध्य प्रदेश में वास्तव में रावण की पूजा कुछ विशेष स्थानों पर आज भी होती है. यह परंपरा सामान्य रूप से पूरे भारत में नहीं मिलती, क्योंकि अधिकतर जगहों पर दशहरा पर रावण का दहन किया जाता है. लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में रावण को विद्वान ब्राह्मण तो कहीं दामाद मानकर पूजनीय माना जाता है.
विजयादशमी के मौके पर जगह-जगह रावण के पुतलों का दहन किया जा रहा है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश के कई हिस्से ऐसे हैं, जहां रावण की पूजा होती है. यह परंपरा सामान्य रूप से पूरे भारत में नहीं मिलती, क्योंकि अधिकतर जगहों पर दशहरा (विजयादशमी) पर रावण का दहन किया जाता है. लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में रावण को विद्वान, दामाद, ब्राह्मण और भगवान शिव का महान भक्त मानकर पूजनीय माना जाता है. आइए जानते हैं मध्य प्रदेश में विजयादशमी पर के अनोखे रीति-रिवाज…
देश के अलग-अलग हिस्सों में गुरुवार को विजयदशमी का पर्व मनाया जा रहा है. इस मौके पर रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाए गए हैं, जिनका दहन किया जा रहा है. मान्यता के अनुसार, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा है और इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. एक तरफ जहां रावण और उसके परिवार के सदस्यों के दहन की तैयारी चल रही है, तो दूसरी ओर मध्य प्रदेश में कई स्थान ऐसे हैं जहां रावण की पूजा की जा रही है.
मंदसौर को रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका कहा जाता है. मंदसौर के दशपुर गांव में रावण की नियमित आराधना होती है, क्योंकि वह इस गांव का दामाद है. इस गांव में नामदेव समाज के लोग रहते हैं. यहां लगभग 41 फीट ऊंची प्रतिमा है. दशहरे के मौके पर यहां विशेष अनुष्ठान किए जा रहे हैं. दशहरे के मौके पर यहां राम-रावण का युद्ध होता है और दहन से पहले स्थानीय लोग रावण से क्षमा याचना भी करते हैं.
इसी तरह विदिशा जिले में एक रावण नाम का गांव है, जहां रावण की पूजा होती है. रावण की यहां लेटी हुई प्रतिमा है. इस गांव में बहुसंख्यक ब्राह्मण हैं और दशहरे के दूसरे दिन इस प्रतिमा की पूजा की जाती है. गांव में एक रावण का मंदिर भी बनाया गया है. इस गांव के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और उसे रावण बाबा कहते हैं.
रावण का उज्जैन से संबंध
इस तरह, एक तरफ जहां रावण के साथ मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों के दहन की तैयारी चल रही है, तो वहीं रावण को अपना आराध्य मानने वाले लोग भी कम नहीं हैं. कहीं उसे दामाद के तौर पर पूजा जा रहा है, तो कहीं लोग उसे अपने पूर्वज के तौर पर अपना देवता मानते हैं. महाकालेश्वर नगरी में रावण को शिव का महान उपासक मानकर सम्मान मिलता है. कहते हैं कि यहीं रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की थी.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें
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