Navratri Maa Durga Mantra In Hindi: शारदीय नवरात्रि अपने समापन की तरफ बढ़ रहे हैं. 29 सितंबर को महासप्तमी, 30 सितंबर को महाअष्टमी, 1 अक्टूबर को महानवमी और 2 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा. नवरात्र शक्ति, साधना और भक्ति का ऐसा पर्व है, जिसमें सांस्कृतिक परंपराओं की पवित्र आभा भी झलकती है. नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. मान्यता है कि इन दिनों में किए गए मंत्र जाप और साधना साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, साहस और सफलता का संचार करते हैं. मंत्र केवल ध्वनि नहीं, बल्कि इन्हें स्पंदन और कंपन की शक्ति भी माना जाता है, जो साधक के मन, शरीर और आत्मा को प्रभावित करते हैं. आइए जानते हैं नवरात्रि में किए जाने वाले इन मंत्रों के बारे में…
वैदिक परंपरा कहती है कि जब श्रद्धा और विश्वास के साथ एकाग्रचित हो मंत्र का उच्चारण किया जाता है, तो वह ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़कर हमारी आंतरिक शक्ति को जागृत करता है. नवरात्रि में देवी के मंत्र विशेष प्रभावी माने जाते हैं क्योंकि यह समय शक्ति साधना का पर्व है. इन मंत्रों से भय दूर होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मक ऊर्जा का ह्रास होता है. नवरात्रि की अष्टमी व नवमी तिथि को मंत्र को भावपूर्वक जपना अपने भीतर छिपी शक्ति को पहचानना है. यह पर्व हमें याद दिलाता है कि शक्ति कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही विद्यमान है. जब भक्त श्रद्धा से मंत्रों का उच्चारण करता है, तो वह अपनी आत्मा को उस शक्ति से जोड़ता है और जीवन में साहस, संतुलन और समृद्धि का मार्ग खोलता है.

मां दुर्गा के मंत्र
नवरात्रि के दौरान सबसे प्रसिद्ध मंत्रों में से एक है ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे.‘ इसे चामुंडा मंत्र कहा जाता है और मान्यता है कि इसके जाप से शत्रु पर विजय, रोगों से मुक्ति और अदम्य साहस प्राप्त होता है. इसी तरह ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः‘ मंत्र साधक के जीवन से दुख और संकट दूर करने वाला माना जाता है. यह मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करता है.
ॐ देवी दुर्गायै नमः एक सरल मंत्र है, जिसका नियमित जाप जीवन में सौभाग्य और सुख-समृद्धि का मार्ग खोलता है. तो ॐ क्लीं कात्यायन्यै नमः मंत्र विवाह और दांपत्य सुख से जुड़ा हुआ माना जाता है और अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष रूप से फलदायी कहा गया है. एक अन्य शक्तिशाली मंत्र ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः साधक को भय, शंका और असुरक्षा से मुक्ति दिलाता है और आत्मरक्षा का स्रोत बनता है.
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

इस तरह करें मंत्र का जप
नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को मंत्र जाप के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इन दिनों प्रातःकाल या रात का शांत समय जप के लिए उत्तम होता है. शुद्ध आसन पर बैठकर, दीपक जलाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बीज मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप करने की परंपरा है. यह केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं बल्कि साधक के मन को एकाग्र करने और आत्मा को ऊर्जावान बनाने की साधना है. ये सभी मंत्र भावार्थ के साथ मार्कण्डेय पुराण और देवी सप्तशती में उपलब्ध हैं.
स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद मंत्र जप
आज विज्ञान भी मानता है कि मंत्रोच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें हमारे मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं. यह ध्यान और मेडिटेशन की तरह मन को शांत करती हैं और सकारात्मक विचारों को बढ़ाती हैं. यही कारण है कि नवरात्रि के मंत्र केवल आस्था ही नहीं, बल्कि ऊर्जा और विज्ञान का भी संगम हैं. मंत्रोच्चार हमारी हृदय गति को दिन के सबसे निचले स्तर पर ला देता है. यह हमारे ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है, नियमित मंत्रोच्चार हृदय रोग को दूर करने में भी सहायक हो सकता है. मंत्रोच्चार करते समय, हम अपने डायाफ्राम को सक्रिय करते हैं और केवल छाती के ऊपरी हिस्से में सांस लेने के बजाय पूरी तरह से सांस लेते हैं.
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