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Ravan Village: इस गांव में लंकापति को भगवान की तरह पूजते हैं लोग, पिता के साथ यहां के शिवमंदिर में पूजा करता था रावण

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Ravan Village: रामायण में रावण को एक शक्तिशाली राक्षस राजा के रूप में चित्रित किया गया है, लेकिन उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के पास बिसरख गांव में उसे एक विद्वान, शिव भक्त और योद्धा के रूप में सम्मान दिया जाता…और पढ़ें

इस गांव में लंकापति को भगवान की तरह पूजते हैं लोग

रावण का गांव

हाइलाइट्स

  • बिसरख गांव में रावण को विद्वान और शिव भक्त माना जाता है.
  • बिसरख में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता.
  • गांव में प्राचीन शिव मंदिर है, रावण के पिता ने स्थापना की थी.

Ravan Village: रावण को ‘लंका का राक्षस राजा’ कहते हैं. कुछ लोग उससे घृणा करते हैं तो कुछ उसकी पूजा भी करते हैं. घृणा इसलिए क्योंकि उसने माता सीता का हरण किया और श्रद्धा इसलिए क्योंकि वह भगवान शिव का परम भक्त था. जब भी हम रावण का नाम सुनते हैं, हमारा ध्यान तुरंत लंका की ओर जाता है, जिससे हम यह मानते हैं कि रावण का जन्म और मृत्यु सब लंका में ही हुआ. लेकिन नोएडा के पास स्थित एक गांव बिसरख के लोग इस बात को अलग तरीके से देखते हैं. आइए जानते हैं क्या मानते हैं यहां के लोग.

बिसरख रावण का जन्मस्थान?
बिसरख गांव का नाम रावण के पिता महर्षि विश्वश्रवा से जुड़ा हुआ माना जाता है. स्थानीय मान्यता के अनुसार रावण का जन्म यहीं हुआ था और उसने अपना प्रारंभिक जीवन यहीं बिताया था. हालांकि धार्मिक ग्रंथों में रावण के लंका में जन्म की बात कही गई है लेकिन बिसरख के लोग इसे अपना ऐतिहासिक गौरव मानते हैं.

यहां नहीं जलता रावण का पुतला
जहां पूरे भारत में दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है, वहीं बिसरख में यह परंपरा नहीं है. ग्रामीणों का मानना है कि दशहरा मनाने या रावण का पुतला जलाने से गांव पर विपत्तियां आ सकती हैं. कहा जाता है कि जब किसी ने गांव में रामलीला या रावण दहन करने की कोशिश की थी तो इसके बाद कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं जिसके कारण दोबारा ऐसा प्रयास नहीं किया गया.

रावण की पूजा और शिव मंदिर
गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है जहां कहा जाता है कि रावण और उसके पिता महर्षि विश्वश्रवा भगवान शिव की उपासना करते थे. यह मंदिर हजारों वर्षों पुराना माना जाता है और यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं.

भारत में एक अनोखा स्थान
बिसरख गांव की यह अनोखी मान्यता इसे पूरे देश से अलग बनाती है. जहां बाकी भारत में रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है, वहीं यहां उसे विद्वता और भक्ति का प्रतीक समझा जाता है. यह स्थान भारतीय पौराणिक इतिहास और परंपराओं का अनूठा उदाहरण है.

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