Utpanna Ekadashi 2025: उत्पन्ना एकादशी को वैसे तो लोग “धार्मिक उपवास” के रूप में जानते हैं, लेकिन इसके पीछे सिर्फ पूजा-पाठ वाला भाव नहीं, बल्कि मन को हल्का और सकारात्मक बनाने का एक सुंदर तरीका भी छिपा है. यह दिन कार्तिक मास के बाद वाली एकादशी को आता है और माना जाता है कि इसी दिन भक्ति की शुरुआत का असली संदेश सामने आया था. इस वजह से कई लोग इसे नई शुरुआत का दिन भी मान लेते हैं. आज की तेज़ रफ़्तार जिंदगी में हम अक्सर खुद को थका हुआ और उलझा हुआ महसूस करते हैं. ऐसे में कुछ पल शांति के लिए निकालना, मन से जुड़ना और अपनी सोच को साफ़ करना बेहद ज़रूरी हो जाता है. उत्पन्ना एकादशी की पूजा यही मौका देती है शरीर को आराम, मन को शांति और भावनाओं को सही दिशा देने का समय. इस दिन लोग उपवास करते हैं, घर की साफ़-सफाई करते हैं, सुबह जल्दी उठते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. लेकिन कई बार लोगों को समझ नहीं आता कि पूजा कैसे करें, चरण कौन-कौन से होते हैं या उपवास में क्या ध्यान रखना चाहिए. इसी बात को सरल और साफ़ तरीके से समझाने के लिए नीचे पूरी पूजा विधि लिखी गई है जिसके बारे में बताया है भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने ताकि कोई भी व्यक्ति आसानी से इस दिन की पूजा कर सके और इसका सकारात्मक असर महसूस कर सके.
पूजा विधि
1. सुबह की तैयारी
उत्पन्ना एकादशी की शुरुआत सुबह जल्दी उठकर की जाती है. नहाने से पहले घर में हल्की सफाई कर लेना अच्छा माना जाता है. कोशिश करें कि माहौल शांत हो, टेंशन वाला माहौल न हो. नहाने के बाद साफ़ और हल्के रंग के कपड़े पहनें.
2. पूजा स्थान की सेटिंग
घर में एक साफ़ जगह चुनें जहां रोज़ पूजा होती है या आज के दिन के लिए अलग से एक छोटा स्थान बना लें. वहां पर एक छोटा सा लकड़ी का पाट या चौकी रखें. उस पर साफ़ कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें. साथ में तुलसी का पौधा हो तो और अच्छा है, क्योंकि इस दिन तुलसी का खास महत्व माना जाता है.
3. दीप और धूप जलाना
पूजा शुरू करने से पहले दीप जलाएं. तेल या घी दोनों में से किसी का भी उपयोग किया जा सकता है. धूप-बत्ती लगाकर वातावरण को शांत और सुगंधित बना लें. इससे मन पूजा पर फोकस होता है.
4. जल अर्पण और फूल चढ़ाना
भगवान विष्णु के सामने तांबे या पीतल के लोटे में रखा पानी चढ़ाएं. साथ में पीले या सफेद फूल रखें. बहुत ज़्यादा चीज़ें रखना ज़रूरी नहीं है; भावना मायने रखती है.

5. मंत्र और प्रार्थना
लंबे या कठिन मंत्र पढ़ना ज़रूरी नहीं है. आप चाहें तो बस “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप कर सकते हैं. इसे 11, 21 या जितनी बार आपका मन करे, उतनी बार बोलें.
इसी तरह, आप मन ही मन अपनी परेशानियों, इच्छाओं और अच्छी सोच को भगवान के सामने रख सकते हैं.
6. तुलसी पूजा
इस दिन तुलसी को जल चढ़ाना शुभ माना जाता है. बस हल्का सा पानी डालें और एक दिया जलाकर रखें. तुलसी के चारों ओर घुमाने की भी परंपरा है, लेकिन यह आपकी सुविधा पर निर्भर है.
7. उपवास का तरीका
उपवास का तरीका व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. कोई सिर्फ पानी पीकर रहता है, कोई फल या हल्का भोजन लेता है. जरूरी बात है तनाव न लें और शरीर की क्षमता के अनुसार उपवास रखें. दिनभर साफ़ सोच रखने की कोशिश करें. नकारात्मक बातें, झगड़ा या क्रोध से जितना दूर रहेंगे, उतना अच्छा अनुभव मिलेगा.
8. शाम की पूजा
शाम को फिर से दीप जलाकर भगवान विष्णु को प्रणाम करें. चाहें तो छोटी आरती कर लें. दिनभर की थकान के बाद यह पल काफी सुकून देता है.
9. अगले दिन पारण
एकादशी का उपवास अगले दिन सूर्योदय के बाद हल्का भोजन लेकर खोला जाता है. इसे पारण कहते हैं. कोशिश करें कि पारण के समय मन शांत रहे और भोजन भी हल्का हो.
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