God Dhanvantri on Dhanteras: धनतेरस यानी धन की देवी लक्ष्मी और आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि का दिन. इस दिन से दीपावली की शुरुआत होती है और लोग इसे शुभ और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस पर सिर्फ लक्ष्मी माता की ही नहीं, बल्कि भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है? दरअसल, भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना गया है और कहा जाता है कि वे स्वयं विष्णु भगवान के अवतार हैं, जो समुद्र मंथन के समय अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इसीलिए इस दिन उनकी आराधना से स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आज हम जानेंगे कि आखिर भगवान धन्वंतरि कौन हैं, उनका धनतेरस से क्या संबंध है और क्यों इस दिन उनकी पूजा करना इतना शुभ माना जाता है. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी.
भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के देवता कहा जाता है. पुराणों के अनुसार जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था, तब सबसे अंत में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में धन्वंतरि जी प्रकट हुए थे. उनके हाथों में अमृत कलश था, जिसमें जीवन और अमरत्व का वरदान था. यही वजह है कि उन्हें “आरोग्य के देवता” कहा जाता है. वे चार हाथों वाले हैं- एक हाथ में अमृत कलश, दूसरे में शंख, तीसरे में चक्र और चौथे में जड़ी-बूटियों का ग्रंथ होता है, जो आयुर्वेद और चिकित्सा ज्ञान का प्रतीक है.
धनतेरस और भगवान धन्वंतरि का संबंध
धनतेरस, दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है और इस दिन का नाम ही “धन” और “तेरस” यानी धन और त्रयोदशी से मिलकर बना है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे और अमृत कलश लेकर आए थे. इसलिए यह दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना से जुड़ा हुआ है. लोग इस दिन सोना, चांदी, बर्तन या नई चीजें खरीदते हैं ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता बनी रहे. लेकिन असली महत्व इस दिन भगवान धन्वंतरि की आराधना का है, क्योंकि धन के साथ स्वस्थ शरीर भी सबसे बड़ा धन माना गया है.

धन्वंतरि पूजा का महत्व
भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से बीमारियां दूर होती हैं, शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और मन शांत रहता है. आयुर्वेद में माना गया है कि जब शरीर और मन दोनों संतुलित रहते हैं तभी सच्चा “धन” प्राप्त होता है. इस दिन लोग दीप जलाकर भगवान धन्वंतरि से प्रार्थना करते हैं कि वे अपने घर और परिवार को आरोग्य, शांति और समृद्धि का वरदान दें. चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग जैसे डॉक्टर, वैद्य और हेल्थ वर्कर्स इस दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा करते हैं, ताकि वे मानव सेवा में सफल हो सकें.
धनतेरस पर पूजा विधि
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक जलाया जाता है. उन्हें तुलसी पत्ते, फूल, धूप, दीप और पंचामृत से पूजा जाता है. साथ ही धनवंतरि मंत्र का जाप किया जाता है-“ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोग निवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्रीमाहाविष्णवे नमः।”
इस मंत्र का अर्थ है- हे भगवान धन्वंतरि, आप अमृत कलश धारण करने वाले विष्णु के रूप हैं, आपसे भय, रोग और दुख का नाश होता है. कृपया हमें आरोग्य और सुख का वरदान दें.

आधुनिक समय में धन्वंतरि पूजा का संदेश
आज के समय में जब बीमारियां और तनाव जीवन का हिस्सा बन गए हैं, भगवान धन्वंतरि की पूजा का अर्थ केवल धार्मिक नहीं बल्कि स्वास्थ्य-संबंधी संदेश भी देता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि धन सिर्फ पैसे या वस्तुओं से नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और मानसिक शांति से भी जुड़ा है. जब शरीर स्वस्थ और मन शांत होता है, तब ही जीवन में असली समृद्धि आती है.
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा हमें यह सिखाती है कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है. धन, वैभव और समृद्धि तभी सार्थक हैं जब हम तन और मन से स्वस्थ हों. इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि की आराधना कर हम न केवल दिवाली की शुरुआत करते हैं, बल्कि जीवन में सुख, शांति और आरोग्य का स्वागत भी करते हैं.
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