असम की चाय से लेकर तेलंगाना की हस्तकढ़ाई तक, सब कुछ यहां उपलब्ध है. यह मेला देश भर के लगभग 20 राज्यों से आए महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) के लगभग 150 स्टॉल्स को एक मंच प्रदान कर रहा है. इस आयोजन का उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों, विशेष रूप से महिलाओं को सीधे तौर पर शहरी बाजार उपलब्ध कराना है. मेला सुबह 10:30 बजे से रात 10 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहेगा और प्रवेश नि:शुल्क है.
मेले में लगभग 40% स्टॉल तेलंगाना की स्थानीय महिला कारीगरों के हैं, जबकि बाकी 60% स्टॉल आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम और उत्तराखंड जैसे राज्यों से हैं. यहां हस्तनिर्मित वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला देखने को मिलेगी, जिसमें हथकरघा साड़ियां, आदिवासी आभूषण, मिट्टी के बर्तन, चमड़े का सामान, हर्बल उत्पाद, फर्नीचर और घर की सजावट की वस्तुएं शामिल हैं. इसके अलावा अचार, पापड़, जैम, दालें, चाय, मसाले और क्षेत्रीय स्नैक्स जैसे खाद्य उत्पाद भी उपलब्ध होंगे.
महिला सशक्तिकरण का मंच
सरस मेले का असली उद्देश्य केवल बिक्री करना नहीं है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. बिचौलियों को हटाकर यह मेला कारीगरों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने में मदद करता है. यह मेला भारत के गांवों और शहरों के बीच एक सांस्कृतिक पुल का काम कर रहा है. यह मेला परिवार के साथ घूमने के लिए एक आदर्श स्थान है, यहां आप न सिर्फ खरीदारी कर सकते हैं, बल्कि विभिन्न राज्यों की संस्कृति, उनके पारंपरिक व्यंजन और हस्तशिल्प की झलक भी एक ही जगह पर देख सकते हैं. साथ ही, आपकी खरीदारी सीधे तौर पर ग्रामीण कारीगर की आजीविका को सहारा देगी.
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