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Ajmer News : अजमेर के मंदिरों में ठंड बढ़ते ही भगवान के श्रृंगार और सेवा में सर्दियों के अनुरूप बदलाव शुरू हो गए हैं. मूर्तियों को गर्म कपड़े, रजाइयां और हीटर तक की व्यवस्था के साथ विशेष देखभाल दी जा रही है. पुजारियों का मानना है कि जैसे इंसान को मौसम के अनुसार संरक्षण चाहिए, वैसे ही भगवान की मूर्तियों को भी गर्माहट और आराम देना आवश्यक है. कई मंदिरों में भोग भी बदला गया है, जहां अब गर्म दूध, मक्का-बाजरे का खिचड़ा, तिल व गुड़ के व्यंजन भगवान को अर्पित किए जा रहे हैं.
अजमेर. भारत में धार्मिक आस्था और श्रद्धा का भाव इतना गहरा है कि भक्त जिस भावना से भगवान के दर्शन और सेवा करते हैं, भगवान भी उसी भाव से अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. यही कारण है कि लोग अपने धार्मिक कर्तव्यों और परंपराओं से पूरी निष्ठा और प्रेम के साथ जुड़े रहते हैं. इस आस्था और भक्ति की झलक हर मौसम में भिन्न रूप में दिखाई देती है. सर्दियों के आगमन के साथ मंदिरों में भी भगवान के श्रृंगार और सेवा पद्धति में बदलाव देखने को मिल रहा है. राजस्थान के अजमेर शहर के कई मंदिरों में इस समय भगवान को ठंड से बचाने की विशेष तैयारियां शुरू हो गई हैं और पुजारी मूर्तियों को गर्म कपड़े पहना रहे हैं.
ठंड बढ़ने के कारण कई मंदिरों में पुजारियों द्वारा भगवान की सेवा का ढंग पूरी तरह सर्दी के अनुसार बदल दिया गया है. मूर्तियों को गर्माहट देने के लिए मोटे वस्त्र, रजाइयां और हीटर तक की व्यवस्था की जा रही है. भक्तों का मानना है कि जिस प्रकार मनुष्य को मौसम के अनुसार देखभाल की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार भगवान की मूर्तियों की भी सेवा और सजावट मौसम के अनुसार की जानी चाहिए.
आगरा गेट स्थित प्रसिद्ध गणेश मंदिर के महंत पंडित घनश्याम आचार्य ने बताया कि भगवान ही सृष्टि के संचालनकर्ता हैं और उन्होंने ही सर्दी, गर्मी व बरसात का निर्माण किया है. ऐसे में जब मौसम बदलता है तो भगवान को भी उसी के अनुरूप आराम देना जरूरी है. उन्होंने कहा कि सर्दी शुरू होते ही भगवान गणेश के लिए गर्म कपड़ों के साथ ही हीटर की व्यवस्था की गई है. केवल वस्त्र ही नहीं, बल्कि भोग में भी अब सर्दियों के अनुरूप परिवर्तन किया गया है. इस मौसम में शरीर को गर्म रखने वाले व्यंजन जैसे गर्म दूध, मक्का-बाजरे का खिचड़ा, तिल के लड्डू, पट्टी, गजक, रेवड़ी और गुड़ से बने विशेष पकवान भगवान को अर्पित किए जा रहे हैं.
मराठा कालीन श्री वैभव महालक्ष्मी मंदिर और पंचमुखी हनुमान जी मंदिर, शिव सागर के पुजारी पंडित राखी शर्मा ने बताया कि ठंड के दिनों में मंदिरों की पूरी दिनचर्या भगवान की सुविधा को ध्यान में रखकर तय की जाती है. उन्होंने कहा कि दर्शन का समय, आरती की अवधि, वस्त्रों का चयन और भोग तक सब कुछ मौसम के अनुरूप बदला जाता है, ताकि मूर्तियों को ठंड से बचाया जा सके और पूजा-पाठ की प्रक्रिया में कोई बाधा न आए.
नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें
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