अजमेर:- हिन्दी पंचांग का 10वां महीना पोष 16 दिसंबर से शुरू होकर 13 जनवरी तक रहेगा. इस महीने सूर्य देव को पूजने की परंपरा है. पौष मास में सूर्य को दिया अर्घ्य पुण्यदायी माना जाता है. पुराणों में कहा गया है कि पौष माह में सूर्य पूजा करने से उम्र बढ़ती है. हर महीने सूर्य को अलग रूप में पूजा करने का विधान है, इसलिए पौष मास में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है.
नारायण रूप में करनी चाहिए विष्णु की पूजा
पंडित सुरेंद्र राजगुरु ने Bharat.one को बताया कि पौष मास में गंगा, यमुना, अलकनंदा, शिप्रा, नर्मदा, सरस्वती जैसी नदियों और प्रयागराज के संगम में स्नान करने की परंपरा है. इस माह तीर्थ दर्शन करने की भी परंपरा बताई गई है. पुण्य देने वाले इस पवित्र माह में भगवान विष्णु की पूजा नारायण रूप में करनी चाहिए. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का भी विधान है. पौष माह में सूर्य नारायण नाम से पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं. पौष मास में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए.
पौष माह में प्रमुख व्रत-त्यौहार
पंडित राजगुरु ने Bharat.one को बताया कि पौष मास में 18 दिसंबर को संकष्टा गणेश चतुर्थी, 22 दिसंबर को कालाष्टमी, 25 दिसंबर क्रिसमस, 26 दिसंबर सफला एकादशी, 28 दिसंबर प्रदोष व्रत, 29 दिसंबर को मासिक शिवरात्रि, 30 दिसंबर को अमावस्या और सोमवार व्रत 1 जनवरी को नववर्ष शुरू होगा.
इसके अलावा 3 जनवरी को वरद चतुर्थी, 5 जनवरी को षष्ठी, 6 जनवरी को गुरु गोबिंद सिंह जयंती, 7 जनवरी दुर्गाष्टमी व्रत, 10 जनवरी वैकुंठ एकादशी व पौष पुत्रदा एकादशी, 11 जनवरी कूर्म द्वादशी, 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस और 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, माघ स्नान प्रारंभ, लोहड़ी से है.
FIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 18:05 IST
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