Home Dharma इस मंदिर में गिरा था माता सती के शरीर का ऊपरी भाग,...

इस मंदिर में गिरा था माता सती के शरीर का ऊपरी भाग, आदि शंकराचार्य ने की थी इसकी स्थापना

0


ऋषिकेश: उत्तराखंड देवताओं की भूमि है. यही वजह है कि इस पावन भूमि को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र इसे अलग ही पहचान दिलाते हैं. इन्हीं आस्था के केंद्रों में सिद्धपीठ मां कुंजापुरी का मंदिर भी है. इसे सिद्धपीठ के रूप में पूजा जाता है. जिसका वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है. ये मंदिर ऋषिकेश से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यह मंदिर शिवालिक पहाड़ियों की चोटी पर स्थित है, जहां से भक्तों को गंगोत्री, बंदरपूंछ, स्वर्गारोहिणी और चैखंबा जैसे हिमालयी शिखरों के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं. सूर्योदय और सूर्यास्त का यहां से दिखाई देने वाला नज़ारा भी बेहद मनमोहक है. यहां नवरात्रों में भव्य मेला लगता है और इस समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

51 शक्तिपीठों में से एक माता कुंजापुरी मंदिर

Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश के स्थानीय निवासी महंत रामेश्वर गिरी ने बताया कि पुराणों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी. ये मंदिर ऋषिकेश के पास स्थित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जहां माता सती के शरीर का ऊपरी भाग गिरा था. यह मंदिर भगवान शिव और माता सती की प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है, जब भगवान शिव माता सती के वियोग में तांडव करने लगे थे. भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए, जो 51 शक्तिपीठों में विभाजित हो गए. यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 25 किलोमीटर और नरेंद्र नगर से 8 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे कुंजापुरी या कुंचा देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

नवरात्रों में लगता है भव्य मेला 

कुंजापुरी मंदिर में एक विशेष सिरोही पेड़ है, जिस पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए धागा या चुनरी बांधते हैं. मान्यता है कि मां कुंजापुरी सच्चे मन से की गई सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं, और मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त पुनः आकर मां को नारियल और चुनरी अर्पित करते हैं. यहां नवरात्रों में भव्य मेला लगता है और इस समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version