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इस मंदिर में माता सती के घुटनों की होती है पूजा, पहनाया जाता है लहंगा, जानिए कहां है

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जयपुर: राजधानी जयपुर से 50 किलोमीटर दूर जोबनेर कस्बे में ज्वाला माता का एक अनोखा मंदिर स्थित है. इस मंदिर का संबंध भगवान शिव और देवी सती से है. यहां पर माता सती के घुटने की पूजा होती है. ज्वाला माता मंदिर के पुजारी ने बताया कि ज्वाला माता के विग्रह को किसी ने स्थापित नहीं किया है. बल्कि, पौराणिक काल में पहाड़ी पर गुफा में देवी की प्रतिमा का घुटना वाला भाग प्रकट हुआ था. इसके बाद यहां पर माता के इस अंग की पूजा होती है. खंगारोत राजपूत माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं.

आरती और अखंड ज्योत
ज्वाला माता मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता के घुटने को सवा मीटर की चुनरी और 5 मीटर कपड़े से बने लहंगे की पोशाक धारण करवाई जाती है, और 16 शृंगार भी किए जाते हैं. इसके अलावा, मंदिर के गर्भगृह में अखंड ज्योत जलती है, जो मंदिर स्थापना से लेकर अब तक जल रही है. खास बात ये है कि ज्वाला माता की आरती के समय सभी पात्र चांदी के होते हैं. माता को गहनों में केवटा, हार, छत्र व मुकुट पहनाया जाता है.

हिमाचल का मुख्य मंदिर
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधार पहाड़ी के बीच ज्वाला देवी का मंदिर बना हुआ है. पूरे भारत में हिमाचल के कांगड़ा और राजस्थान के जोबनेर में ही ज्वाला माता मंदिर की पूजा होती है. इन दोनों मंदिरों में माता के घुटने और एक हाथ की पूजा होती है. मान्यता है कि अगर कोई भक्त माता के दर्शन करने के लिए हिमाचल नहीं जा पाता है, तो वह जोबनेर माता के दरबार में आकर शीश नवाता है.

इसके अलावा, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने जब माता सती के शव को कंधे पर उठाकर तांडव नृत्य किया था, तब माता के पार्थिव शव के टुकड़े छिन्नभिन्न होकर पृथ्वी पर गिरे. स्थानीय लोगों के अनुसार, इन्हीं में से माता सती का घुटना जोबनेर और हिमाचल के कांगड़ा में आकर गिरा. माता के इसी भाग की पूजा इन दिनों मंदिर में की जाती है.

देवी का आवास
मंदिर के पुजारी श्याम सिंह खंगारोत ने बताया कि ज्वाला माता चैत्र के 1 महीने जोबनेर में रहती हैं, उसके बाद वह हिमाचल में स्थित कांगड़ा मंदिर में चली जाती हैं. इसी एक महीने में खंगारोत राजपूत माता की पूजा आराधना करते हैं. इस मंदिर में क्षेत्र के महीने में कई बड़े विशेष आयोजन भी होते हैं

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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