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Offering flowers on Grave in islam : मुस्लिम समाज में कुछ लोग कब्र पर फूल चढ़ाना, अगरबत्ती जलाना सही मानते हैं तो कुछ लोग इसे गलत मनाते हैं. आखिर क्या सही है और इस्लाम मे इसे जायज माना गया है या नाजायज? आइये जानते हैं.
अलीगढ़. मुस्लिम समाज में कब्र पर फूल चढ़ाने, अगरबत्ती जलाने या सजावट करने का रिवाज कई जगहों पर देखा जाता है. लेकिन क्या इस्लाम में ऐसा करने की इजाजत है? कुछ लोग कब्र पर फूल चढ़ाना, अगरबत्ती जलाना सही मानते हैं तो कुछ लोग इसे गलत मनाते हैं. आखिर क्या सही है और इस्लाम मे इसे जायज माना गया है या नाजायज? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए Bharat.one की टीम ने अलीगढ़ के मौलाना इफराहीम हुसैन ने बात की. मौलाना इफराहीम बताते हैं कि इस्लाम में वही आमाल जायज हैं जो कुरआन और सही हदीस से साबित हो. नई-नई रस्में और खुद से तरीके निकालना इस्लाम मे नाजायज और हराम माना जाता है.
कब्रों को सजाना, उस पर फूल चढ़ाना या अगरबत्ती जलाना इन चीजों की कोई ठोस दलील कुरआन या हदीस में नहीं मिलती, इसलिए ऐसा करना नाजायज है. उलमा का यही इत्तेफाक है कि कब्रें सादगी पर हों और उन पर सजावट व अनावश्यक रस्मी कार्य न किए जाएं. मौलाना इफराहीम हुसैन के मुताबिक, जो लोग ऐसी नई रस्में रचा रहे हैं वे गलती पर हैं और गुनाह कर रहे हैं. यह गुनाहों में गिना जाता है और गुमराही की तरफ ले जाने वाला काम है. अगर इंसान तौबा न करे तो ये रास्ता गंभीर नतीजों तक ले जा सकता है.
सिर्फ वही करें
मौलाना ने बताया कि इस्लाम में किसी भी ऐसे काम को करने की सख्त मनाही है जिसे अल्लाह ने मना फरमाया है और हमारे रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने न किया हो. बावजूद इसके, अगर कोई शख्स ऐसे काम करता है तो वह गुना में दाखिल माना जाता है. मुसलमान को चाहिए कि कुरान और हदीस की रोशनी में जो काम अल्लाह के हुकुम से दिए गए हैं सिर्फ वही करें. बाकी के कामों से बचें.
Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें
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