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कब है गोवर्धन पूजा…इस दिन क्यों लगाया जाता है अन्नकूट का भोग, जानें धार्मिक महत्व

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परमजीत /देवघर: दीपावली का त्योहार एक ऐसा पावन पर्व है जो पांच दिनों तक पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इसमें कार्तिक माह की त्रयोदशी से शुरुआत होती है, जो शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक चलती है. दीपावली के इस पवित्र पर्व के बीच, गोवर्धन पूजा का विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था. उसी समय से गोवर्धन पूजा का विधान आरंभ हुआ और इसे लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं. इस दिन हर घर में गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है और पूजा अर्चना की जाती है. देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल से जानिए गोवर्धन पूजा का महत्व और इस दिन अन्नकूट का भोग क्यों लगाया जाता है.

कब है गोवर्धन पूजा?
देवघर के ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल के अनुसार, गोवर्धन पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होती है. इस वर्ष गोवर्धन पूजा 2 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन प्रतिपदा तिथि होने के कारण पूरे भारत में गोवर्धन पूजा हर्षोल्लास से मनाई जाएगी. इस दिन घरों में गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है और भगवान श्रीकृष्ण के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही, नए फसल से अन्नकूट का भोग भी लगाया जाता है. मान्यता है कि इस पूजा से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती.

गोवर्धन पूजा का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर इंद्र देवता की पूजा को छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की. इस पर इंद्र ने नाराज होकर मूसलधार वर्षा से ब्रजवासियों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया. ब्रजवासियों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया, जिसके नीचे सभी लोग शरण में आ गए. एक हफ्ते तक गोवर्धन पर्वत के नीचे रहकर उन्होंने इंद्र के प्रकोप से स्वयं और अन्य ब्रजवासियों की रक्षा की. इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को पूजनीय बताया और तभी से ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू की. इस पूजा का उद्देश्य प्रकृति और धरती माता के प्रति सम्मान को प्रदर्शित करना भी है.

अन्नकूट का भोग: क्या है इसका महत्व?
गोवर्धन पूजा के दिन ब्रजवासी भगवान श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाते हैं. ‘अन्नकूट’ का अर्थ है अन्न का पहाड़. इस दिन सभी लोग अपने-अपने घरों से विभिन्न प्रकार का अन्न, जैसे चावल, दाल, सब्जियां और अन्य व्यंजन एकत्र करते हैं और इसे एक जगह रखकर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करते हैं. इसके साथ ही भगवान को 56 भोग (छप्पन भोग) का विशेष भोग भी लगाया जाता है. 56 भोग का अर्थ है कि भगवान को दिन में 8 पहर के हिसाब से प्रत्येक पहर में 7 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं. यह भोग भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण का प्रतीक है.

गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सामाजिक महत्व
गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सामूहिक प्रयास का भी प्रतीक है. इस दिन सभी लोग एकत्र होकर सामूहिक रूप से भगवान को भोग अर्पित करते हैं और साथ में प्रसाद के रूप में इस अन्नकूट का भोग ग्रहण करते हैं. इससे समाज में प्रेम और एकता का भाव उत्पन्न होता है और सभी एक-दूसरे के साथ समय बिताने का अवसर पाते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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