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ज्योतिषाचार्य पं. दीप लाल जयपुरी ने Bharat.one से कहा कि महासप्तमी के दिन दुर्गा प्रतिमाओं की प्राण-प्रतिष्ठा होती है. अष्टमी से विधिवत दुर्गा पूजा आरंभ होती है. इस दिन षोडशोपचार विधि से मां महागौरी की पूजा कर व्रत रखा जाता है. इस बार शोभन योग 30 सितंबर सुबह से रात एक बजे तक रहेगा
सनातन धर्म में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त नवरात्रों के 9 दिन व्रत रखते हैं. मां की पूजा अर्चना करते हैं. इन नौ दिनों में जो भी भक्त सच्चे मन से मां की पूजा अर्चना करता है. अष्टमी व नवमी वाले दिन कंजके बिठाकर कन्या पूजन करता है. उन भक्तों की सभी मनोकामनाएं मां जरूर पूर्ण करती है.वही शारदीय नवरात्र की अष्टमी तिथि कल यानी 30 सितंबर को मनाई जा रही है. इस बार दुर्गा अष्टमी का पर्व शोभन योग में पड़ रहा है, जो इसे और अधिक शुभ और फलदायी बना रहा है.
कन्या पूजन का महत्व
वहीं उन्होंने बताया कि दुर्गा अष्टमी को मां दुर्गा के 8वें स्वरूप मां महागौरी की पूजा का विधान है. वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं, बैल पर सवार होती हैं. अत्यंत शुभ्र रूप में पूजी जाती हैं. इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है, हालांकि नवरात्र के सभी दिनों में कन्याओं को पूजने की परंपरा है, लेकिन समयाभाव में अधिकतर लोग अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन करते हैं. नवमी वाले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 9:37 से लेकर सुबह 11:44 बजे तक रहने वाला है.
पूजा के समय इस मंत्र का करे जाप
उन्होंने बताया कि इस दिन जब माता रानी की भक्त पूजा अर्चना कर रहे होंगे तो वह (सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते…) मंत्र का जाप जरुर करें.वही उन्होंने कहा कि जिस दिन भक्त अष्टमी व नवमी वाले दिन की पूजा अर्चना कर रहे होंगे, उन्हें खासतौर पर यह ध्यान रखना है कि उनके पास चमड़े का पर्स या फिर बेल्ट ना लगी हो. इस तरह की वस्तु से पूजा में काफी ज्यादा नुकसान होने का खतरा बना रहता है.