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डर से नहीं, भक्ति से कांपती है धरती! कर्नाटक का वो नृत्य, जहां देवी की कृपा बरसती और भूत-प्रेत भाग जाते!

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Agency:Local18

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Karnataka Mari Dance: मारी नृत्य कर्नाटक का एक धार्मिक लोकनृत्य है, जो देवी मारी को समर्पित है. यह नृत्य फरवरी-मार्च में होता है और भूत-प्रेत भगाने की शक्ति मानी जाती है.

भक्ति से कांपती है धरती! यह नृत्य देवी की कृपा बरसाता और भूत-प्रेत भगाता

कर्नाटक का मारी नृत्य: देवी की कृपा और भूत-प्रेत भगाने वाला लोकनृत्य.

हाइलाइट्स

  • मारी नृत्य कर्नाटक का धार्मिक लोकनृत्य है.
  • यह नृत्य देवी मारी को समर्पित है.
  • फरवरी-मार्च में मारी नृत्य का आयोजन होता है.

कर्नाटक: सोचिए, एक पूरा गांव… बूढ़े, बच्चे, जवान, औरतें—सबके कदम एक साथ थिरक रहे हैं, ढोल-नगाड़ों की गूंज है, और बीच में देवी की महिमा का गुणगान. यही है मारी नृत्य—कर्नाटक की धरती का वो लोकनृत्य, जिसमें भक्ति भी है, परंपरा भी, और ऐसा जुनून कि देखने वाले की भी आत्मा झूम उठे.

भूत-प्रेत भागेंगे, देवी की कृपा बरसेगी!
अब कोई कहे कि नाचने से बुरी आत्माएं दूर भाग जाती हैं, तो शायद आपको मजाक लगे, लेकिन कर्नाटक में मारी नृत्य को यही शक्ति मानी जाती है. यह नृत्य देवी मारी को समर्पित है, जिन्हें पार्वती का एक रूप माना जाता है. गांव वालों का विश्वास है कि देवी की कृपा से गांव पर कोई संकट नहीं आता. इसलिए, फरवरी-मार्च के महीने में जब देवी का उत्सव आता है, तो पूरा गांव एक रंग में रंग जाता है.

नाचेंगे वही, जो ‘अनुभवी’ होंगे!
अब यह न समझिए कि कोई भी बस उठकर नाचने लगेगा. मारी नृत्य को करने के लिए अनुभव जरूरी है. नृत्य में एक विशेष लय होती है, जिसे बनाए रखना जरूरी है. मैसूर, मांड्या, हसन और चामराजनगर के गांवों में यह नृत्य सबसे ज्यादा किया जाता है, और कुछ जगहों पर तो यह सात गांवों के नर्तकों के बिना पूरा भी नहीं माना जाता.

हाथ में चौकोर वस्त्र, पैरों में गेजा और ताल पर थिरकते कदम
अब जरा नृत्य की वेशभूषा पर भी नजर डाल लीजिए. नर्तक अपने हाथों में चौकोर कपड़ा पकड़ते हैं, पैरों में गेजा बांधते हैं और चक्र कंगन की ताल पर कदम मिलाते हैं. नाचते वक्त ढोल, श्रुति, ओलगा, कैथल, गिडी और तमाटों (विशेष वाद्य यंत्र) की धुन पूरे माहौल को और भक्ति-भाव से भर देती है.

हर मूव का अपना नाम, अपनी पहचान
मारी नृत्य में कोई भी ऐरा-गैरा स्टेप नहीं चलता. हर मूव का एक नाम है और उसका खास मतलब. मसलन, मारम्मा मूव, पिरदानी मूव, नंदी कंबा मूव, कुटाटा मूव, बाबैया मूव, साइकिल मूव, इंग मूव, कीलू सीमा मूव, बैसेगे मूव और न जाने कितने अनगिनत मूव्स. यह कोई डिस्को डांस नहीं, बल्कि एक धार्मिक परंपरा है, जिसमें कदम-कदम पर भक्ति छलकती है.

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देवी की भक्ति में झूमने का मौका मिले, तो छोड़िएगा नहीं!
अगर आप कभी कर्नाटक के इन इलाकों में जाएं और मारी नृत्य का मौका मिले, तो सिर्फ दर्शक मत बनिए. इस नृत्य को सिर्फ देखने का नहीं, महसूस करने का मजा है. जब सैकड़ों लोग एक साथ देवी की भक्ति में लीन होकर थिरकते हैं, तो लगता है मानो धरती खुद झूम रही हो.

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