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दिवाली की रात की ये अजीब परंपरा…निशा काल में दीए से बनाया जाता है काजल, चौंका देगी धार्मिक और वैज्ञानिक वजह

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Diwali kajal significance: त्योहारों पर ऐसी तमाम परंपराएं होती हैं, जो हम निभाते तो हैं लेकिन सही जानकारी नहीं होती है. दिवाली की रात काजल बनाना भी ऐसी ही परंपराओं में से है. जी हां, इस दिन लोग अपने घरों को दीपक और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं और रात में दीए जलाते हैं. इसके बाद बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्म मनाकर पटाखे जलाते हैं. इसी रात एक दीए से काजल बनाया जाता है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर दिवाली को दीए से काजल निकालते क्यों हैं? धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से क्या है महत्व? दिवाली पर कैसे निकाला जाता है काजल? इस बारे में Bharat.one बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-

दिवाली पर काजल से जुड़ी परंपरा

आपने ज्यादातर घरों में देखा होगा कि दिवाली की रात काजल बनाया जात है. लेकिन, इसे बनाने के पीछे की वजह क्या है? बता दें कि, भारत के कुछ क्षेत्रों में यह परंपरा निभाई जाती है. इस परंपरा का विशेष महत्व भी माना जाता है. बता दें कि, दिवाली की रात मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के बाद जलते हुए दीपक की लौ से काजल बनाया जाता है. इसके बाद इसे परिवार के सभी सदस्यों की आंखों में लगाते हैं.

काजल बनाने का धार्मिक पहलू

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, दिवाली की रात लोग काजल बनाकर सभी सदस्यों की आंखों में लगाया जाता है. मान्यता है कि, इस काजल को लगाने से घर के सदस्यों का नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचाव होता है. यह भी मान्यता है कि इस काजल को लगाने से भाग्योदय भी होता है और घर में सुख समृद्धि आती है. घर में बरकत और नकारात्मक शक्तियों से बचाव के लिए इसे घर के चूल्हे, दरवाजे पर तिजोरी पर भी लगाया जाता है.

काजल बनाने का वैज्ञानिक महत्व

राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के नेत्र रोग विशेष आलोक रंजन के मुताबिक, दिवाली की रात काजल लगाने के कई वैज्ञानिक लाभ भी माने जाते हैं. दिवाली की रात पटाखे जलाने के कारण वातावरण में प्रदूषण बहुत ज्यादा हो जाता है. इस प्रदूषण का असर हमारी आंखों पर भी पड़ता है. काजल लगाने से प्रदूषण से हमारी आंखों की रक्षा होती है.

दीए से काजल बनाने का तरीका

दिवाली की रात दीए से काजल बनाने के लिए एक साफ दीपक लें. फिर इसमें सरसों का तेल भरें. अब रुई की मोटी बाती लगाएं, जिसे तेल में अच्छे तरह से डूबा दें. अब बाती को जलाएं. जब दीपक अच्छे से जलने लगे तो उसके ऊपर धातु की एक प्लेट को इस तरह से रखें कि दीपक की लौ प्लेट के ऊपर ही पड़े. कुछ समय बाद प्लेट में काला पदार्थ नजर आने लगेगा. अब इस काले पदार्थ को इकट्ठा करें और उसमें शुद्ध देसी की एक या दो बूंद डालें और अच्छे से मिला लें. अब तैयार हो चुके इस काजल को लगाया जा सकता है.

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