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Durga Ashtami: वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष मास की शुक्ल अष्टमी तिथि 27 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 09 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन 28 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 59 मिनट पर हो जाएगा. मां दुर्गा की पूजा निशिता काल में की जाती है. ऐसे मे आइए जानते हैं इस किस दिन मां भगवती की आरधना की जाएगी.
Durga Ashtami: हिंदू धर्म में हर तिथि हर वार का अपना विशेष आध्यात्मिक महत्व होता है. हर महीने मां आदिशक्ति दुर्गा की आराधना का विशेष विधान बताया गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस पावन दिन माता दुर्गा की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि दुर्गा अष्टमी के दिन मां धरती पर विराजमान होकर भक्तों की श्रद्धा स्वीकार करती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. उज्जैन के प्रसिद्ध पंडित आनंद भारद्वाज से जानते हैं. साल 2025 की अंतिम पौष माह की दुर्गा अष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन की संपूर्ण विधि क्या है.
कब मनाई जाएगी साल की अंतिम दुर्गा अस्टमी
दिसंबर 2025 में पौष मास की शुक्ल अष्टमी तिथि 27 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 09 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन 28 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 59 मिनट पर हो जाएगा. सनातन परंपरा में उदया तिथि मानी जाती है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल की अंतिम मासिक दुर्गाष्टमी 28 दिसंबर को मनाई जाएगी. इस दिन व्रत और देवी दुर्गा की पूजा होगी.
आखिर क्या है मासिक दुर्गा अस्टमी का महत्व
मासिक दुर्गा अष्टमी का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है. यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है. इस दिन मां आदिशक्ति दुर्गा की उपासना करने से साधक को मानसिक शांति, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखने से भक्त का मन एकाग्र होता है और वह पूरी श्रद्धा के साथ देवी भक्ति में लीन रहता है. इस दिन व्रती एक समय सात्विक भोजन करता है या फिर फलाहार ग्रहण करता है. विधि-विधान से व्रत पूर्ण करने पर मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और जीवन में आ रही बाधाओं को दूर करती हैं. साथ ही घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.
ऐसे करें मां दुर्गा की विधिवत पूजा
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वयं को शुद्ध करें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल का छिड़काव करें. माता दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर गंगाजल से उनका अभिषेक करें. मां के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें और श्रद्धा पूर्वक अक्षत, सिंदूर तथा लाल पुष्प अर्पित करें. भोग के रूप में मिठाई या फल चढ़ाएं. इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. पूजा के दौरान मां दुर्गा से अपने परिवार की सुख-शांति और कल्याण की प्रार्थना करें। ऐसा करने से माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं.
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Deepti Sharma, currently working with News18MPCG (Digital), has been creating, curating and publishing impactful stories in Digital Journalism for more than 6 years. Before Joining Bharat.one she has worked with Re…और पढ़ें
