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Khukhundoo Jain Shrine: भगवान पुष्पदंतनाथ का जन्म इक्ष्वाकु वंशीय राजा सुग्रीव और रानी जयरामा के घर मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा को हुआ था. उनका चिन्ह मगरमच्छ है, जो उन्हें अन्य तीर्थंकरों से अलग पहचान देता है. रा…और पढ़ें
देवरिया खुखुंदू तीर्थ
हाइलाइट्स
- खुखुंदू जैन तीर्थ भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्मस्थली है
- यहां हर साल भगवान पुष्पदंतनाथ के जन्मकल्याणक पर धार्मिक आयोजन होता है
- खुखुंदू का जैन मंदिर चार कल्याणकों से जुड़ा है
देवरिया:- उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित खुखुंदू, जिसे पुराने समय में काकंदी कहा जाता था, जैन धर्म के नौवें तीर्थंकर भगवान पुष्पदंतनाथ की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है. यह जगह न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्व रखती है. खुखुंदू का जैन मंदिर अपने आप में भव्य है. चलिए जानते हैं भगवान पुष्पदंतनाथ का जीवन और इस मंदिर की महिमा के बारे में
भगवान पुष्पदंतनाथ का जीवन और तीर्थ की महिमा
भगवान पुष्पदंतनाथ का जन्म इक्ष्वाकु वंशीय राजा सुग्रीव और रानी जयरामा के घर मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा को हुआ था. उनका चिन्ह मगरमच्छ है, जो उन्हें अन्य तीर्थंकरों से अलग पहचान देता है. राजा बनने के बाद उन्होंने वैराग्य धारण कर राजपथ का परित्याग किया और पुष्पक वन में दीक्षा ली. चार सालों के कठोर तप के बाद उन्हें नागवृक्ष के नीचे केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और अंत में सम्मेद शिखर पर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई.
खुखुंदू का जैन मंदिर
यह मंदिर चार कल्याणकों—गर्भ, जन्म, दीक्षा और केवल ज्ञान से जुड़ा होने के कारण विशेष धार्मिक महत्त्व रखता है. मंदिर की भव्यता, श्वेत संगमरमर की निर्मलता, शांत वातावरण और जैन शैली की स्थापत्य कला इसे श्रद्धालुओं के लिए एक अत्यंत आकर्षक तीर्थ बनाती है. बता दें, खुखुंदू, देवरिया जिला मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां तक पहुंचने के लिए बस, टैक्सी और अन्य लोकल सवारियां आसानी से उपलब्ध हैं. सड़क मार्ग भी अच्छा है, जिससे श्रद्धालुओं को यात्रा में कोई असुविधा नहीं होती.
तीर्थ के प्रबंधक ने दी जानकारी
आपको बता दें, यहां प्रतिवर्ष भगवान पुष्पदंतनाथ के जन्मकल्याणक पर विशाल धार्मिक आयोजन होता है. न्यूज़ 18 से बात करते हुए तीर्थ के प्रबंधक बसंत जैन ने बताया, कि श्रद्धालुओं की संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है और यहां की धार्मिक ऊर्जा लोगों को खींच लाती है. कार्यक्रमों में पंचामृत अभिषेक, शांतिधारा, मंगल आरती और भंडारा प्रमुख आकर्षण होते हैं.
वहीं, पुणे से मंदिर में दर्शन के लिए आए श्रद्धालु सचिन गांधी, उनकी पत्नी निधि गांधी और उनके बच्चे और माता जी ने कहा, हम पहली बार यहां आए हैं. पूरे परिवार को बहुत अच्छा अनुभव हुआ. हर किसी को जीवन में एक बार यहां जरूर आना चाहिए।”
पर्यटन और विकास की संभावनाएं
खुखुंदू अब न केवल एक धार्मिक स्थल, बल्कि पर्यटन के नक्शे पर भी उभरता हुआ नाम है. स्थानीय प्रशासन और जैन समाज मिलकर इसके सौंदर्यीकरण और प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. सड़क, आवास और यात्री सुविधाओं के विस्तार के साथ यह तीर्थ भविष्य में और भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा. खुखुंदू का जैन तीर्थ न केवल जैन अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान है, बल्कि यह भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता का जीवंत प्रतीक भी है. यहां आकर आत्मा को जो शांति मिलती है, वह शब्दों में नहीं, अनुभव से ही समझी जा सकती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.