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धड़ जमीन के अंदर… सिर्फ सिर बाहर, आहार में दो चम्मच पानी, 10 दिन की कठिन साधना में गुजराती बाबा  

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खरगोन. नवरात्रि में मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए तमाम साधक कठिन से कठिन साधना करते हैं. वहीं, मध्य प्रदेश के खरगोन से भी एक साधु की अनोखी साधना सामने आई है, जो देवी भक्तों के लिए आश्चर्य बनी हुई है. खास बात ये कि साधु 9 दिन तक जमीन के अंदर समाधि लिए हुए हैं. उनका पूरा धड़ जमीन के अंदर है, सिर्फ सिर ही बाहर है. 5 दिन बीत चुके हैं. दशहरा तक वह ऐसी ही स्थिति में रहेंगे.

करौंदिया गांव के पास गुजराती बाबा ने नवरात्रि के दौरान एक अनोखी ज्वारा समाधि ली है. इस दौरान बाबा अन्न-जल त्याग कर देवी की उपासना में लीन हैं. देखने वालों के मन में सवाल आता है कि आखिर संत जीवित कैसे हैं? गुजराती बाबा की इस समाधि के ऊपर गेहूं के ज्वारे बोए गए हैं. पांच दिन में ज्वारे हरे-भरे हो जाते हैं. बाबा बताते हैं कि मां भगवती की कृपा से 100 किलोमीटर के क्षेत्र तक इन ज्वारों की हरियाली बनी रहती है.

जगत कल्याण के लिए समाधि
गुजराती बाबा ने Bharat.one को बताया कि वह इस अनोखी साधना के माध्यम से जगत कल्याण, व्यसन मुक्ति और सनातन धर्म की एकता के लिए देवी आराधना कर रहे हैं. 3 अक्टूबर को हवन पूजन के बाद यह समाधि ली थी, जो 12 अक्टूबर को दशहरे के दिन पूरी होगी. बाबा ने कहा कि समाधि के दौरान वह केवल एक-दो चम्मच पानी पीते हैं, ताकि शरीर की नसें सूख न जाएं.

33 साल पहले हिमालय से शुरुआत
जगदीशानंद गुरु कल्याणदास महाराज जिन्हें लोग गुजराती बाबा के नाम से जानते हैं. 33 वर्षों से देवी साधना में लीन हैं. वह अब तक देशभर में 24 से 25 समाधियां ले चुके हैं. इसकी  शुरुआत हिमालय से हुई थी. गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में भी समाधि ले चुके हैं. मध्य प्रदेश में यह उनकी तीसरी समाधि है. बाबा का लक्ष्य देश के हर राज्य में तीन समाधियां लेने का है.

कारोबार छोड़ा, अपनाया भक्ति का मार्ग
गुजराती बाबा का असल जीवन भी बेहद दिलचस्प है. वह मूल रूप से गुजरात के रहने वाले हैं और मुंबई में दो मॉल्स के मालिक थे. लेकिन, देवी भक्ति में ऐसा रम गए कि सब कुछ छोड़कर हिमालय चले गए. साधु बनने के बाद वह वापस लौटे और देशभर में यात्रा कर सनातन धर्म और व्यसन मुक्ति के लिए जागरूकता फैलाने लगे. बाबा का कहना है कि वे शादीशुदा हैं. पत्नी है, तीन बच्चे भी हैं. वह समय-समय पर परिवार से मिलने जाते हैं, लेकिन उनका अधिकतर समय भक्ति और समाज कल्याण में ही बीतता है. 8 वर्ष की उम्र से ही वह देवी की आराधना करने लगे थे.

मंदिर निर्माण के साथ जुड़ा उद्देश्य
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 58 km दूर करौंदिया गांव में गुजराती बाबा ने जिस स्थान पर समाधि ली है, वहां खाटू श्याम का भव्य मंदिर निर्माणाधीन है. ग्रामीणों ने करीब साढ़े चार करोड़ की लागत से यह मंदिर बनवाने का बीड़ा उठाया है. बाबा को यह स्थान बहुत पसंद आया और मंदिर निर्माण के लोगों से जुड़ने के लिए उन्होंने यहीं खेत में समाधि लेने का फैसला किया. इससे पहले उन्होंने चैत्र नवरात्रि में बारहद्वारी हनुमान मंदिर में समाधि ली थी और फिलहाल वहीं पर निवास भी कर रहे हैं.

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