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धार्मिक कार्यों में क्यों वर्जित है प्याज-लहसुन? जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा

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ऋषिकेश: हिंदू पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में लहसुन और प्याज का सेवन नहीं किया जाता है. क्योंकि ये दोनों खाद्य पदार्थ तामसिक गुणों से युक्त माने जाते हैं. भारतीय परंपरा में तामसिक खाद्य पदार्थों को पूजा और धार्मिक क्रियाओं के दौरान नकारात्मक ऊर्जा और अशांति का स्रोत माना जाता है. इसके बजाय, पूजा के समय शुद्ध और सात्विक आहार का सेवन किया जाता है जिसमें फल, दूध, दही और शहद जैसे पोषक तत्व शामिल होते हैं. इन खाद्य पदार्थों का सेवन मानसिक और आत्मिक शुद्धता को बढ़ावा देता है, जो धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा के उद्देश्यों के लिए अनुकूल होता है.

Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि पूजा के समय भोग के रूप में ऐसे पकवान बनाए जाते हैं जो सात्विक और शुद्ध होते हैं. इनमें आमतौर पर फल, मिठाइयाँ और दूध से बने पदार्थ जैसे रबड़ी, खीर, या मिठे पकवान शामिल होते हैं. इन वस्तुओं को बिना किसी तामसिक तत्व के जैसे लहसुन, प्याज, या मांसाहार के बिना तैयार किया जाता है. इनका उद्देश्य भगवान की पूजा के दौरान मन को शांति और संतोष प्रदान करना होता है. वहीं शाकाहारी होने के बाद भी लहसुन प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता इससे जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है.

धार्मिक कार्यों में क्यों वर्जित है प्याज-लहसून?
पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत प्राप्ति के विवाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और अमृत बांटा. एक राक्षस देवताओं के रूप में मिलकर अमृत पी गया. वहीं सूर्य और चंद्र ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर काट दिया. उस राक्षस के कटे सिर से कुछ अमृत की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं, जहां से लहसुन और प्याज उत्पन्न हुए. इस कारण, धार्मिक कार्यों और व्रतों में लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित माना जाता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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