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पितृ पक्ष में भूलकर भी न करें ये कार्य, जानें जरूरी नियम और परंपराएं.

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धर्म, पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए समर्पित एक विशेष समय होता है. इस दौरान कुछ नियमों और परंपराओं का पालन करना आवश्यक माना जाता है. मान्यता है कि इन दिनों में कुछ कार्यों से परहेज करना चाहिए, ताकि पितरों की कृपा बनी रहे और घर में सुख-शांति बनी रहे.

यहां पितृ पक्ष में भूलकर भी न करने योग्य कार्यों की सूची दी जा रही है:

1. मांसाहार और मद्यपान से परहेज करें

पितृ पक्ष में सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए. मांसाहार, शराब या किसी भी तामसिक पदार्थ का सेवन वर्जित माना गया है क्योंकि यह वातावरण को अशुद्ध करता है और पितरों की आत्मा को कष्ट पहुंचा सकता है.

2. बाल कटवाना या शेविंग न करें

इस अवधि में बाल कटवाना, शेविंग या ब्यूटी ट्रीटमेंट जैसे कार्य वर्जित माने जाते हैं. यह समय संयम और श्रद्धा का होता है, न कि सौंदर्य प्रदर्शन का.

3. नए वस्त्र या आभूषण न खरीदें

पितृ पक्ष को शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त समय नहीं माना जाता. इस दौरान नए कपड़े, गहने या घर की सजावट का सामान खरीदना वर्जित होता है.

4. विवाह, गृह प्रवेश या कोई मांगलिक कार्य न करें

श्राद्ध पक्ष में कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण आदि नहीं किए जाते. यह समय पितरों को समर्पित होता है, न कि उत्सव मनाने का.

5. झूठ बोलना और अपशब्द कहना

इस समय संयमित वाणी और व्यवहार रखना चाहिए. झूठ बोलना, अपशब्द कहना या किसी को अपमानित करना पितरों की नाराज़गी का कारण बन सकता है.

6. श्राद्ध कर्म में लापरवाही न करें

अगर आप श्राद्ध कर रहे हैं, तो उसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही न करें. भोजन शुद्ध और सात्विक होना चाहिए, और विधि-विधान का पालन करना आवश्यक है.

7. राई, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक पदार्थों से परहेज करें

श्राद्ध में इन पदार्थों का प्रयोग वर्जित होता है क्योंकि ये तामसिक प्रकृति के होते हैं और वातावरण की पवित्रता को प्रभावित करते हैं.

पितृ पक्ष आत्मा की शांति और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का समय है. इन दिनों में संयम, श्रद्धा और सात्विकता का पालन करना आवश्यक है. इन नियमों का पालन करके आप पितरों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, और अपने जीवन में सुख-शांति बनाए रख सकते हैं.

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