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बद्रीनाथ से वैजयंती माला तो, रामेश्वरम, द्वारकाधीश और जगन्नाथ पुरी से क्या लाएं? पंडित जी से जानें चार धाम यात्रा के दौरान क्या लाना चाहिए?

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Char Dham Yatra : चार धाम यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा है, जो व्यक्ति को न सिर्फ भौतिक बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्रदान करती है. हर धाम से कुछ विशेष चीजें लाकर आप अपनी यात्रा के अनुभव को और भी पवित्र बना स…और पढ़ें

बद्रीनाथ से वैजयंती माला तो, रामेश्वरम, द्वारकाधीश और जगन्नाथपुरी से क्या लाएं

चार धम की यात्रा से क्या लाएं?

हाइलाइट्स

  • बद्रीनाथ से वैजयंती माला और तुलसी की माला लाएं.
  • रामेश्वरम से पवित्र जल लेकर आएं.
  • द्वारकाधीश से गोपी चंदन और मोरपंख लाएं.

Char Dham Yatra : चार धाम यात्रा हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इन चारों धामों की यात्रा करने से एक व्यक्ति को जीवन के विभिन्न पहलुओं का आभास होता है. उत्तर भारत में स्थित बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारकाधीश, और जगन्नाथ पुरी, इन चारों स्थलों का अपना एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है. इन स्थानों से कुछ खास चीजें लानें की परंपरा चली आ रही जिसे बहुत शुभ माना जाता है. यहां हमें भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताएंगे कि चार धाम यात्रा के दौरान इन स्थानों से आपको क्या खास चीजें लेकर लौटनी चाहिए?

1. बद्रीनाथ – वैजयंती माला और तुलसी
बद्रीनाथ, जो प्रथम सत्ययुग का प्रतीक है, एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. यह स्थान भगवान विष्णु को समर्पित है और यहां की यात्रा करने से मनुष्य के जीवन में पुण्य की प्राप्ति होती है. बद्रीनाथ से आपको वैजयंती माला और तुलसी की माला लेकर आनी चाहिए. वैजयंती माला विशेष रूप से भगवान विष्णु को प्रिय मानी जाती है और इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि आती है. तुलसी की माला भी धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है और यह जीवन में मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करने में सहायक होती है.

2. रामेश्वरम – पवित्र जल
रामेश्वरम, जो त्रेतायुग का प्रतीक है, दक्षिण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. यह स्थल भगवान शिव से जुड़ा हुआ है और यहां आने वाले भक्तों को विशेष आशीर्वाद मिलता है. रामेश्वरम से आपको पवित्र जल लेकर आना चाहिए. इस जल को घर में रखा जाता है और इसे धार्मिक कार्यों या पूजा में इस्तेमाल किया जाता है. इसे घर में रखने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और यह किसी भी कठिनाई को दूर करने में सहायक माना जाता है.

3. द्वारकाधीश – गोपी चंदन और मोरपंख
द्वारकाधीश, जो द्वापर युग का प्रतीक है, गुजरात राज्य में स्थित है और भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है. इस स्थान से आपको गोपी चंदन और मोरपंख लेकर आना चाहिए. गोपी चंदन का उपयोग पूजा और तंत्र-मंत्र में किया जाता है और इसे विशेष रूप से भगवान कृष्ण की पूजा में उत्तम माना जाता है. वहीं, मोरपंख भी भगवान कृष्ण को प्रिय है और इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि और रक्षक शक्ति प्राप्त होती है.

4. जगन्नाथ पुरी – नारियल की छड़ी
जगन्नाथ पुरी, जो कलियुग का प्रतीक है, ओडिशा राज्य में स्थित है और यह भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्राजी की पवित्र धरती है. यहां से नारियल की छड़ी लेकर आना चाहिए. यह छड़ी विशेष रूप से धार्मिक अवसरों और पूजा में उपयोग की जाती है. नारियल का भी बड़ा धार्मिक महत्व है और इसे किसी भी शुभ कार्य या पूजा में सबसे पहले चढ़ाया जाता है. इसे घर में रखने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है.

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