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बसंत पंचमी के दिन लोग मां सरस्वती और अपने कलम, कॉपी-किताब की पूजा करते हैं. माघ महीने की शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि को मां महासरस्वती की पूजा का खास महत्व है. माघ शुक्ल पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा को ही श्री…और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर सुबह 9:36 तक विशेष मुहूर्त है.
- स्थिर लग्न में देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित करना शुभ माना जाता है.
- ‘ॐ ऐं ह्रीं महासरस्वत्यै नम:’ मंत्र का 108 बार उच्चारण करें.
पश्चिम चम्पारण:- सनातन धर्म में मुख्य रूप से तीन देवियों की आराधना का बड़ा विशेष महत्व बताया गया है. इनमें मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती शामिल हैं, जहां अश्विन माह में मां महाकाली की पूजा का विशेष महत्व है. वहीं आषाढ़ माघ के शुक्ल पक्ष में मां महालक्ष्मी की पूजा का बड़ा महत्व है. ठीक इसी प्रकार माघ महीने की शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि को मां महासरस्वती की पूजा का खास महत्व है.
पिछले 35 वर्षों से कार्यरत ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र Bharat.one को बताते हैं कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा को ही श्री पंचमी / मां सरस्वती पंचमी और सरस्वती पूजा के रूप में जाना जाता है. इस बार यदि आप एक खास मुहूर्त में मां शारदे की पूजा करते हैं, तो निश्चित तौर पर शुभ फल मिलना तय है. चलिए हम आपसे बसन्त पंचमी पर बनने वाले इस खास मुहूर्त, कलम दावत की पूजा हेतु उत्तम समय और इससे संबंधित अन्य विशेष जानकारियां साझा करते हैं.
9 बजकर 36 मिनट तक बसंत पंचमी का मुहूर्त
Bharat.one की टीम से बात करते हुए डॉ. अशोक बताते हैं कि सोमवार 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन एक खास मुहूर्त में मां सरस्वती की आराधना कर विशेष सिद्धियों की प्राप्ति की जा सकती है. उस दिन सूर्योदय के पश्चात सुबह 09 बजकर 36 मिनट तक बसंत पंचमी का मुहूर्त है. इस मुहूर्त में आप मां शारदे की पूजा आराधना कर सकते हैं. यदि आपको माता की मूर्ति की स्थापना करनी है, तो फिर आपके लिए सुबह 7 बजकर 54 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक का समय बेहद उत्तम है.
इस समय करें माता की प्रतिमा और मूर्ति की स्थापना
दरअसल, बसंत पंचमी को सुबह 07 बजकर 16 मिनट से सुबह 08 बजकर 56 मिनट तक कुंभ लग्न का योग बन रहा है. ज्योतिषशास्त्र में इसे स्थिर लग्न भी कहा जाता है. इस लग्न में देवी-देवताओं की प्रतिमा और मूर्तियों को स्थापित करना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसे में पूजन हेतु माता की प्रतिमा को इसी समय में स्थापित करना सर्वोत्तम बताया गया है.
इस मंत्र के साथ करें कलम की पूजा
डॉ. अशोक Bharat.one को बताते हैं कि स्थिर लग्न में ही विद्यार्थियों को माता के साथ कलम की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इसके लिए आपको रोली, अबीर, हल्दी, सिंदूर, रक्षा सूत्र और दुर्वा सहित पीले रंग के फूल को अनिवार्य रूप से उपयोग में लाना चाहिए. ध्यान रहे कि माता की पूजा के समय ‘ॐ ऐं ह्रीं महासरस्वत्यै नम:’ मंत्र का उच्चारण 108 बार जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से सकारात्मक बुद्धि का विकास होता है, जिससे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता की संभावना बेहद प्रबल हो जाती है.
Bettiah,Pashchim Champaran,Bihar
February 01, 2025, 13:27 IST
बसंत पंचमी बन रहा खास योग! इस समय करें मां सरस्वती की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.