मधुबनी. सनातन संस्कृति में जन्म से मृत्यु तक हर संस्कार, रीति रिवाज और विधि के बारे में शास्त्रों में वर्णित है. दरअसल, हम जब जन्म लेते हैं उस समय से चार कंधों पर जाने तक मंत्रोच्चार या रस्म, कर्म, मुंडन जन्म संस्कार शास्त्र में लिखी गई है और उसके अनुसार ही करना बहुत अच्छा माना जाता है. सनातनी लोग हर चीज शास्त्रों के हिसाब से करते हैं इसी में एक और परंपरा है ‘बेबी प्लानिंग’ मतलब जब कोई महिला गर्भधारण करती है तो उसकी भी आयु (age) शास्त्र में निर्धारित की गई है. किस उम्र में महिला को शास्त्रों के हिसाब से गर्भधारण करना चाहिए. आज की मान्यता यानी कि आधुनिक में इसको बहुत ज्यादा नहीं देखा गया है लेकिन हमारा शास्त्र बेबी प्लानिंग के बारे में क्या कहता है. आइये जानते हैं.
सनातन जिस पर निर्भर है- मनुस्मृति के कर्माधार के संस्कार में यह वर्णित है कि बेबी प्लानिंग यानी कि गर्भधारण के लिए लड़की की सबसे अच्छी आयु 16 से 22 मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह साल महिला के लिए एक गर्भधारण करने के लिए सबसे उत्तम और विशिष्ट आयु है. Bharat.one से बात करते हुए गिरधर झा ज्योतिष बताते हैं कि यह हमारे कर्माधार के संस्कार वाले पृष्ठ में वर्णित है, जिसका खंडन नहीं किया जा सकता है. साथ ही यह भी बताते हैं कि पहले आज से 40-50 साल पूर्व भी यह देखा जाता था कि 11 साल में लड़की की शादी होती थी और 5 साल बाद यानी की 16 साल में सेकंड मैरिज (गोना) जिस मैथिली में दुरागमन कहते हैं और उसके बाद वह गर्भधारण पारिवारिक जीवन जीती थी.
सरकार ने भी तय की शादी की आयु
अब यह नहीं होता है क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है, और अब लड़कियों की पढ़ाई लिखाई, उसके भविष्य और बाकी चीजों की उलझन होती है. पहले लड़की को गृहस्थी जीवन यापन करना होता था तो यह संभव था पर अब यह करना मुश्किल है. अब तो सरकार ने भी शादी की आयु (age) तय कर दी है, लेकिन शास्त्र ऐसा मानता है कि यह सबसे उत्तम वर्ष माना जाता है. सरकार भी 18 और 21 का आंकड़ा देती है तो इस हिसाब से शास्त्र मनुस्मृति पर चलना गर्भधारण पर नहीं हो सकता है.
FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 23:50 IST