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भोलेनाथ का अनोखा मंदिर! नंदी के बिना ही विराजे महादेव, जल चढ़ाने से मिलती है लंबी आयु

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कुरुक्षेत्र. महादेव के कई शिविलंग हैं.जहां पर आप कई अनोखे वरदान मांग सकते हैं. ऐसा ही एक शिवलिंग है कुरुक्षेत्र में. जहां भगवान भोलेनाथ का अनोखा शिवमंदिर है. जहां बिना नंदी के भोलेनाथ विराज मान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण काल से पहले लंकापति रावण आकाशीय मार्ग से गुजर रहे थे. जिस पुष्पक विमान में लंकापति रावण सवार होकर आकाशीय मार्ग से जा रहे थे, तो वहां कुरुक्षेत्र के कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर आते ही डगमगा गया. हालांकि उस समय यहां पर मंदिर नहीं था. पौराणिक कथाओं के अनुसार उसे समय सिर्फ यहां पर शिवलिंग ही स्थापित था.

रावण ने मांगा था ये वर
जब उनका विमान डगमगाया तो उन्होंने सोचा कि नीचे ऐसी क्या शक्ति है. जिसकी वजह से उनका विमान डगमगा रहा है. उन्होंने नीचे आकर देखा तो वहां पर उन्होंने शिवलिंग पाया. उसके बाद लंकापति रावण यहां पर बैठकर भोलेनाथ की तपस्या करने लगे. उनकी घोर तपस्या को देख भोलेनाथ प्रकट हुए लंकापति रावण से वर मांगने को कहा उस दौरान लंकापति रावण ने कहा कि मैं आपसे जो भी वर मांग लूंगा. इसका साक्षी कोई तीसरा नहीं होना चाहिए. जिसके चलते महादेव ने नंदी महाराज को वहां से दूर जाने को कहा. उसके बाद लंकापति रावण ने भगवान भोलेनाथ से काल पर विजय का वर मांगा था. मान्यता है कि, उसके बाद से ही यहां शिवलिंग स्थापित है.

मंदिर में मृत्यु दोष से मिलती है मुक्ति

जो भी पूजा अर्चना करने के लिए आता है, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अगर किसी इंसान की कुंडली में अकाल मृत्यु दोष है, तो वह यहां पर आकर शनिवार और सोमवार के दिन शिवलिंग को जल अर्पित करें. उससे उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती. यह प्रचलन भी इसलिए यहां पर जारी है. क्योंकि लंकापति रावण ने महादेव से काल पर विजय पाने का वरदान मांगा था. इसलिए यहां पर अकाल मृत्यु दोष के लिए भी विशेष तौर पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है. जिसे उनको अकाल मृत्यु दोष से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने से काल को भी मोड सकते हैं. इसी के चलते इस मंदिर का नाम कालेश्वर महादेव मंदिर है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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